आगराःमोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार की हसरत हर दिल में रहती है. फिर वो चाहे भारतीय हों या विदेशी. सभी धवल संगमरमरी बदन के दीवाने हैं. हर कोई ताजमहल में डायना सीट पर बैठकर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करना चाहता है. आवास विकास प्राधिकरण (एडीए) अब पर्यटकों की दीवानगी भुनाकर खुद की जेब भरना चाहता है. एडीए ने इसी मंशा से एक बार फिर ताजमहल की टिकट दर में इजाफे की तैयारी की है. इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है.
250 गुना बढ़े टिकट के दामःभारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने इस मामले में चुप्पी साधकर मौन स्वीकृति दी है. इससे भारतीय पर्यटकों को ताजमहल के दीदार के लिए 10 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 100 रुपये अधिक देने होंगे. जबकि, सन 1966 से पहले तक देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए ताज का दीदार फ्री था. इसके बाद से ताज देखने आने वालों के लिए टिकट लगाया गया. सन 1966 में ताजमहल के दीदार की टिकट 20 पैसे तय हुई थी. लेकिन वक्त के साथ ही टिकट की कीमतें बढ़ती गई. बीते 56 सालों में ताजमहल के टिकट की कीमत 250 गुना बढ़ी है. यानी ताजमहल की एंट्री टिकट 20 पैसे से बढ़ कर अब 50 रुपये हो गई है.
1966 से पहले नहीं लगता था टिकटःभारत घूमने आने वाले करीब 60 फीसदी विदेशी पर्यटक ताजमहल का दीदार जरूर करते हैं. भारतीय पर्यटकों की भी ख्वाहिश एक बार ताजमहल निहारने की रहती है. एएसआई के मुताबिक, सन 1966 से पहले ताजमहल पर टिकटिंग व्यवस्था नहीं थी. उस समय तक भारतीय और विदेशी पर्यटक बिना टिकट ही ताज का दीदार करते थे. सन् 1966 में पहली बार भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए ताजमहल में एंट्री टिकट 20 पैसे की गई.
2000 में बदली गई टिकटिंग व्यवस्थाःएप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन बताते हैं कि ताजमहल की खूबसूरती के दीवाने लगातार यहां आ रहे थे. इस पर धीरे-धीरे ताजमहल की टिकट की दर बढ़ती गई. सन 1976 में ताजमहल का टिकट भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए 2 रुपये किया गया. वहीं, सन 2000 में एएसआई ने ताजमहल की टिकटिंग व्यवस्था में बदलाव किया. जिसके तहत भारतीय पर्यटक और विदेशी पर्यटकों की टिकट दर अलग अलग कर दी. भारतीय पर्यटकों की टिकट के मुकाबले विदेशी पर्यटकों की टिकट कई गुना बढ़ाई गई. इस टिकट से जो कमाई होती है. उसमें से एएसआई के साथ ही एक बड़ा हिस्सा आवास विकास प्राधिकरण (एडीए) को जाता है.