आगरा:व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर ताजमहल लगातार चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ताजमहल के पश्चिमी गेट की 71 दुकानों के मामले में दुकानदारों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में राज्य सरकार ओैर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) से तीन महीने में पुनर्वास रिपोर्ट तलब की है. इससे एडीए अधिकारियों में खलबली मच गई है. क्योंकि, पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल ताजमहल की बाउंड्रीवॉल से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधियां बंद करने का आदेश दिया था. इससे करीब 3000 व्यवसायिक प्रतिष्ठान और 30,000 से ज्यादा लोग बेरोजगार व एक लाख की आबादी प्रभावित हो रही है. लेकिन, इस मामले में पहले ही ताजगंज क्षेत्र के लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने सुनवाई में दुकानों के ताजमहल के पश्चिमी गेट से हटने पर लगाई रोक के अपने आदेश को फिलहाल बरकरार रखा है. पीठ ने एडीए से तीन महीने में इन दुकानों के पुनर्वास पर रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि एडीए दुकानदारों को पुनर्वास नहीं कर सकता है तो फिर क्यों न दुकानदारों को वहीं रहने दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले में अभी पुनर्वास पर कमेटी की ओर से विचार किया जा रहा है.
ताजमहल पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह राठौर ने बताया कि सन् 1998 में ताजमहल परिसर से हमारी 71 दुकानें हटाई गईं थीं. इस पर पहले उन्हें ताजमहल के पश्चिमी गेट के पास ही आईटीडीसी रेस्टोरेंट के सामने उद्यान विभाग के टीले पर दुकान लगाने की जगह दी. तब किराया 20 रुपये मासिक था. सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2000 में ताजमहल की सुरक्षा और पॉल्यूशन को लेकर आदेश दिया तो उनकी दुकानें वहां से भी हटाई गई. फिर, एडीए ने पश्चिमी गेट की अमरूदों के टीला के पास पार्किंग से सटी जगह दी. नक्शा भी बनाया और अपनी रकम से दुकानें बनवाईं.