आगराःजिले के पिनाहट कस्बा क्षेत्र से सटी चंबल नदी में इन दिनों ठंड के कारण घड़ियाल और मगरमच्छ धूप सेंकने के लिए पानी से बाहर निकल रहे हैं. यह पर्यटकों एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. चंबल नदी के टापुओं पर घड़ियाल और मगरमच्छ कुनबा लगातार बढ़ने से लोगों का आकर्षण बढ़ता जा रहा है. देसी ही नहीं विदेशी पर्यटक भी रोज बड़ी संख्या में इन्हें देखने पहुंच रहे हैं.
धूप सेंकने निकले घड़ियाल-मगरमच्छ हो रहा संरक्षण, बढ़ रहा कुनबादरअसल, आगरा से करीब 55 किलोमीटर दूर पिनाहट कस्बा से सटी चंबल नदी में घड़ियाल एवं मगरमच्छों का संरक्षण किया जा रहा है. घड़ियाल एवं मगरमच्छों के विलुप्त होते जाने से पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी संस्थाएं चिंतित हैं. इसलिए तमाम स्थानों की तरह चंबल नदी में भी इनका संरक्षण वाइल्डलाइफ एवं वन विभाग की ओर से किया जा रहा है. चंबल नदी में इन प्रजातियों का कुनबा दिनों-दिन बढ़ता चला रहा जा रहा है, जो बहुत ही बड़ी उपलब्धि है. चंबल नदी के पानी में मगरमच्छ और घड़ियाल का कुनबा हर वर्ष हजारों की संख्या में बढ़ने से यह आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. दिसंबर माह में लगातार ठंड बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की कंपकपी छूटने लगी है. कड़ी ठंड के चलते चंबल नदी की सतह से पानी से बाहर निकलकर टापुओं पर धूप सेंकने के लिए घड़ियाल और मगरमच्छ निकल रहे हैं. विशालकाय मगरमच्छ और घड़ियाल चंबल नदी के टापुओं पर आराम फरमाते हुए देखे जा रहे हैं. विलुप्त प्रजाति घड़ियाल और मगरमच्छों को देखने के लिए देसी और विदेशी पर्यटक रोज आ रहे हैं औऱ इनकी फोटो मोबाइल व कैमरों में कैद कर रहे हैं.
धूप सेंकने निकले घड़ियाल-मगरमच्छ सर्वाधिक देखने वाले स्थानचंबल नदी के कुछ स्थानों पर सर्वाधिक इस प्रजाति को देखा जा सकता है. इनमें पिनाहट घाट से सटी चंबल नदी के विप्रावली, देवगढ़, उटसाना, क्योरी, जेबरा, केंजरा, नदगवां, करकौली, रेहा आदि घाटों के स्थानों पर सर्वाधिक मगरमच्छ और घड़ियाल पूरे कुनबे सहित देखे जा सकते हैं.
वन विभाग कर्मियों की नजरचंबल नदी में विश्व विलुप्त प्रजाति घड़ियाल एवं मगरमच्छ के हर वर्ष बढ़ रहे कुनबा को लेकर वन विभाग पूरी तरह से सतर्क रहता है. साथ ही चंबल नदी क्षेत्र में वन कर्मियों की पूरी नजर रहती है. यहां वॉच टावर के माध्यम से भी वन विभाग कर्मी चंबल नदी क्षेत्र में अपनी नजरें गड़ाए रहते हैं.