आगरा :शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है. लगभग 900 साल पुराने इस मंदिर से लोगों की आस्था के साथ कई रहस्य भी जुड़े हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. एक सेठ ने इस शिवलिंग को ले जाने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसे हिला भी भी नहीं पाया था. यह शिवलिंग खुद से ही स्थापित है. पवित्र सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ जुटती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. सावन के हर सोमवार पर मंदिर में मेला लगता है.
900 वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास :प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, आगरा के शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर करीब 850 से 900 वर्ष पुराना बताया जाता है. समय-समय पर सौंदर्यीकरण के कारण इस मंदिर का स्वरूप बदलता रहा लेकिन लोगों की आस्था पहले की ही तरह इस मंदिर से जुड़ी हुई है. पूरे साल यहां पर भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं, लेकिन सावन के सोमवार पर यहां पर ज्यादा भीड़ रहती है.
भगवान शिव का आदेश न मानना सेठ को पड़ा भारी :उप सचिव के अनुसार पूर्वज बताया करते हैं कि भरतपुर के राजा खेड़ा का एक साहूकार (सेठ) नर्मदा नदी के पास बैलगाड़ी से शिवलिंग दूसरी जगह स्थापित करने के लिए ले जा रहा था. मंदिर के पास एक कुआं था. रात होने पर अक्सर यहां लोग विश्राम के लिए रुक जाया करते थे. सेठ भी यहीं पर रुक गया था. सेठ को भगवान शिव ने सपना दिखाया. कहा था कि, शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया जाए. इसके बावजूद सेठ नहीं माना. वह शिवलिंग लेकर जाने की कोशिश करने लगा. बैलगाड़ी में दो बैल थे, मजदूर धक्का लगा रहे थे. इसके बावजूद बैलगाड़ी टस से मस नहीं हुई. इससे बाद बैलगाड़ी में दो बैल और जोड़े गए, इसके बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा. सेठ शिवलिंग को हिला भी नहीं पाया. इसके बाद बैलगाड़ी से लुढ़क कर शिवलिंग यहां पर स्वयं स्थापित हो गया. इससे बाद सेठ ने चला गया.