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'हाउ आर यू सेशन' से सरकारी स्कूल के बच्चे बोलने लगे फर्राटेदार इंग्लिश

उत्तर प्रदेश के आगरा के ये सरकारी स्कूल जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में अपनी पहचान बना चुका है. स्कूल की प्रधानाध्यापिका कामिनी शर्मा ने 'हाउ आर यू सेशन' की शुरुआत कर बच्चों को इंगलिश बोलना सिखाया. आज शिक्षक दिवस पर ईटीवी भारत ने जाना कि कैसे उन्होंने इस सरकारी स्कूल को कॉन्वेंट स्कूल बनाया.

नौफरी के प्राथमिक विद्यालय को बनाया कॉन्वेन्ट.

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Published : Sep 5, 2019, 10:47 AM IST

आगरा: सरकारी स्कूलों के शिक्षक हमेशा संशाधन की कमी रोना रोते रहते हैं, लेकिन शमशाबाद रोड स्थित नौफरी का ये सरकारी स्कूल कुछ अलग है. स्कूल की प्रधानाध्यापिका कामिनी शर्मा के प्रयासों से आज ये स्कूल कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है. कामिनी ने अपनी अनोखी ट्रिक और इनोवेटिव आइडिया से एक साल में बच्चों को फरार्टेदार इंग्लिश बोलना सिखा दिया.

नौफरी के प्राथमिक विद्यालय को बनाया कॉन्वेन्ट.

प्रधानाध्यापिका कामिनी शर्मा ने बताया कि एक साल पहले जब मैंने इस विद्यालय को जॉइन किया था, तो यहां पर हालात बहुत सही नहीं थे. फिर मैंने देखा कि जिस तरह से हम दीपावली की सफाई करते हैं. वैसे ही इस शिक्षा के मंदिर की मुझे साफ सफाई करनी है. मैंने शिक्षकों और बच्चों के साथ मिलकर पौधरोपण से इसकी शुरुआत की. इससे जहां बच्चों को पर्यावरण का संदेश तो दिया ही, वहीं स्कूल की सुंदरता भी बढ़ी है.

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'हाऊ आर यू' से फर्राटेदार इंग्लिश बोलने का सफर
जहां बच्चे नॉर्मल हिंदी सही तरह से न बोल पाते हों, वहां उन्हें इंग्लिश बोलना सिखाना काफी मुश्किल रहा. इसके लिए मैंने 'हाउ आर यू सेशन' की शुरूआत की. जब मैंने बच्चों से हाउ आर यू बोला तो समझ नहीं पाए. फिर मैंने उन्हें समझाया 'हाउ आर यू' का मतलब आप कैसे हो. फिर खुद कहा कि आप भी मुझे 'हाउ आर यू' बोलिए. इसके बाद सिलसिला बढ़ता ही चला गया और नतीजा आपके सामने है.

चार स्किल हैं अहम
यदि आपको किसी भी भाषा में बच्चों को डील करना है, तो हमें चार स्किल पर काम करना होगा. इसमें पहली पहली स्किल लिसनिंग है, दूसरी स्पीकिंग, तीसरी रीडिंग और चौथी स्किल राइटिंग है. जब तक आप बच्चे को लिसनिंग के मौके नहीं देंगे, तब तक वह स्पीकिंग नहीं करेगा और जब स्पीकिंग करने लगेगा तो उसे स्वतः ही रीडिंग आ जाएगी और फिर राइटिंग भी कर सकेगा.

प्रोजेक्टर से स्मार्ट क्लास
जब हमने बच्चों को प्रोजेक्टर से पढ़ाना शुरू किया तो उन्हें कार्टून्स मूवीज दिखाईं. जिससे वह फैमिलियर हो जाएं. वे समझे कि प्रोजेक्टर क्या है. फिर उन्हें कार्टून के जरिए अंग्रेजी, एनवायरमेंट, साइंस, मैथ्स या अन्य दूसरे सब्जेक्ट से जोड़ करके समझाते और पढ़ाते हैं तो बच्चे चीजों को बेहतर ढंग से समझ सकते है.

प्रदेश के बेस्ट शिक्षकों की बुक शामिल हुए नवाचार
स्कूल में शिक्षा का माहौल बनाने के लिए मैंने पिकनिक के ऊपर नवाचार किया. इसके साथ ही दूसरा नवाचार दिव्यांग बच्चे को लेकर किया. स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा दिव्यांग है. उसकी जुबान नहीं उठती है, उसको साइक्लोजिकल सपोर्ट किया.

जो बच्चा ज्यादा शैतान है, वह ज्यादा एनर्जी सोर्स है. एनर्जी को आप रोक कर और टोक कर शैतानी में मत बदलिए. बेहतर यह है कि आप बच्चे को एहसास कराइए और उसकी एनर्जी को सही दिशा दीजिए. फिर उसके परिणाम आपको बहुत ही अच्छे मिलेंगे. ऐसे ही नवाचार को राज्य सरकार की ओर प्रदेश के बेस्ट शिक्षकों के इनोवेटिव आइडियाज और ट्रिक्स की बुक में शामिल किया जा रहा है. यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है.

छात्रों की संख्या बढ़कर हुई130
एक साल पहले स्कूल जॉइन किया था तो इस विद्यालय में 82 बच्चे थे. वहीं अब इस विद्यालय में 132 स्टूडेंट अध्ययनरत हैं. जिनमें से करीब 100 बच्चे प्रतिदिन हाजिर रहते हैं. इतना ही नहीं इस विद्यालय में कई बच्चे ऐसे हैं, जो पहले कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ते थे, लेकिन यहां की पढ़ाई देख कर के अभिभावकों ने उन्हें अब कॉन्वेंट स्कूल से निकाल कर के सरकारी प्राइमरी इंग्लिश मीडियम विद्यालय में दाखिला दिलाया है.

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