आगरा: मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना ही नहीं सभी तीर्थों का भांजा कहे जाने वाले बटेश्वर से कृष्ण कन्हैया का गहरा नाता रहा है. यमुना नदी के तट पर बसे इस तीर्थस्थल की महाभारत काल में भी मुख्य भूमिका रही है. श्रीकृष्ण के पितामह ने अपनी राजधानी भी शौरीपुर को बनाया था.
शौरीपुर से है कृष्ण कन्हैया का नाता. 'देवकी की शादी में शौरीपुर से गई थी बारात'
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देश में मनाई जा रही है. श्रीकृष्ण का आगरा जिले से भी रिश्ता रहा है. शौरीपुर श्रीकृष्ण के पैतृक वंशजों का स्थान रहा है. यहां पर यदुवंश में शूरसेन राजा हुए थे, उन्होंने शौरीपुर को बसाया था. भगवान श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव इसी वंशज में पैदा हुए थे. वासुदेव कंस की बहन देवकी से शादी करने शौरीपुर से ही बारात लेकर गए थे.
'हुई थी आकाशवाणी'
शादी समारोह अच्छी तरह बीत गया, जब विदाई होने लगी, उसी समय आकाशवाणी हुई. आकाशवाणी में कहा गया कि देवकी की आठवीं संतान कंस का काल बनेगी. इसके बाद कंस ने वासुदेव व देवकी को मथुरा के कारागार में डाल दिया. देवकी की विदाई के समय अगर आकाशवाणी नहीं हुई होती तो भगवान श्रीकृष्ण शायद शौरीपुर में जन्म लेते.
'जैन धर्म की आस्था का केंद्र'
शौरीपुर जैन धर्म का आस्था का केंद्र है क्योंकि महाराजा शूरसेन के वंशज और श्रीकृष्ण के चचेरे भाई नेमिनाथ जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर हैं. नेमिनाथ जी का जन्म भी शौरीपुर में हुआ था और शौरीपुर में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों ही अनुयायी अलग-अलग मंदिर में भगवान नेमिनाथ की पूजा करते हैं.
श्रीकृष्ण के वंशजों की पैतृक राजधानी है शौरीपुर
शौरीपुर दिगंबर जैन मंदिर के पुजारी प्रमोद जैन ने बताया कि चंद्रवंशी शूरसेन ने शौरीपुर नगरी को बसाया था. शूरसेन की राजधानी भी थी. शूरसेन के पुत्र अंधक वृष्णि हुए, जिनके अंधक वृष्णि के समुद्र विजय, वासुदेव सहित दस पुत्र और दो बेटी कुंती और माद्री हुई. समुद्र विजय के यहां भगवान नेमिनाथ पैदा हुए थे. जबकि वासुदेव के यहां श्रीकृष्ण पैदा हुए. श्रीकृष्ण और नेमिनाथ दोनों ही चचेरे भाई हैं. भगवान श्रीकृष्ण के वंशजों की पैतृक राजधानी रही है. मगर अब शौरीपुर में भगवान नेमिनाथ का मंदिर है. कोरोना की वजह से इस अवसर पर कोई उत्सव नहीं मनाया जा रहा है.