आगरा:जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से आगरा कोरोना कैपिटल बन गया. अप्रैल और मई में आगरा का कोरोना संक्रमण प्रदेश में 'टॉप' पर था. इसकी वजह जमातियों की संख्या के साथ निजी अस्पताल और क्लीनिक, कोरोना के एपिक सेंटर बने थे. इसमें से जिसने आगरा को कोरोना स्प्रेडर बनाया, उनमें से है आगरा का पारस हॉस्पिटल, जिसने आगरा ही नहीं आसपास के 9 जिलों में कोरोना फैलाने में बड़ा योगदान दिया.
कोरोना स्प्रेडर हॉस्पिटलों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई. कोरोना सुपर स्प्रेडर 'पारस हॉस्पिटल' ने आगरा से लखनऊ तक खूब हलचल मचाई. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी हुई, तो हॉस्पिटल संचालक और मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. हॉस्पिटल सीज किया गया, मगर इसके बाद जिम्मेदारों ने मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया.
जानें पूरा मामला
आगरा में कोरोना सुपर स्प्रेडर 'पारस हॉस्पिटल' के संचालक डॉ. अरिंजय जैन और हॉस्पिटल मैनेजर एसपी यादव के खिलाफ कोरोना संक्रमण फैलाने का मुकदमा आईपीएस की धारा 188, धारा 269, धारा 270 और धारा 271 के तहत न्यू आगरा थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इसके बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में है.
ऐसी ही कार्रवाई सार्थक हॉस्पिटल के संचालक के खिलाफ की गई थी. फिर मामला कुछ ठंडा हुआ, तो जिम्मेदार अधिकारी अब आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए शांत बैठे हुए हैं. पारस हॉस्पिटल को सील करके यहां पर भर्ती कोरोना संक्रमितों को सैफई में शिफ्ट किया गया था.
आगरा में यूं फैलाया संक्रमण
दो अप्रैल-2020 को पारस हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमण का पता चल गया था. हॉस्पिटल में भर्ती मंटोला के ढोलीखार की महिला को मथुरा रेफर करने पर कोरोना की पुष्टि हुई थी. इसके बाद एक के बाद एक हॉस्पिटल में भर्ती मरीज, स्टाफ और तीमारदार कोरोना संक्रमित पाए जाने लगे.
अगर आगरा की बात की जाए तो पारस हॉस्पिटल से आगरा में 100 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव आए. आगरा के अलावा आसपास के जिलों में भी कोरोना संक्रमण पारस हॉस्पिटल से ही पहुंचा. इतना ही नहीं पारस हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को गुमराह भी किया गया. पहले हॉस्पिटल संचालक और प्रबंधक ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को यह रिपोर्ट दी कि हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों और स्टाफ की संख्या 53 है और फिर बाद में इसे 73 बताया, लेकिन जब हॉस्पिटल के दस्तावेज खंगाले गए, तो स्टाफ और मरीजों की संख्या 220 निकली थी.
आरोपों में बेल, मगर दो साल की जेल भी
जिला शासकीय अधिवक्ता बसंत कुमार गुप्ता का कहना है कि आईपीसी की धारा निषेधाज्ञा का उल्लंघन करना है. आईपीएस की धारा 269, धारा 270 और धारा 271 जमानती हैं. यह धाराएं लापरवाही से महामारी का संक्रमण फैलाने और दूसरे लोगों की जान जोखिम में डालने की हैं. तीनों ही आईपीसी की धारा में दोष सिद्ध होने पर जुर्माना और अधिकतम दो साल की जेल की भी सजा है.
इन जिलों में पहुंचाया कोरोना संक्रमण
पारस हॉस्पिटल ने अकेले ही आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, कन्नौज, फरुर्खाबाद, इटावा, कासगंज और औरैया जिले में कोरोना फैलाया. पारस हॉस्पिटल संचालक और मैनेजर के खिलाफ एफआईआर से पहले आगरा में सार्थक हॉस्पिटल संचालक चिकित्सक दंपति के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी. आगरा में सबसे पहली एफआईआर रेलवे अधिकारी की बेटी के खिलाफ कोरोना संक्रमित होने पर सूचना छिपाने और जांच में सहयोग नहीं करने पर दर्ज कराई गई थी. तीनों ही मामले में एफआईआर दर्ज हुईं, लेकिन अब मामला ठंडे बस्ते में है. लिहाजा इन मामलों में प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
पारस हॉस्पिटल के मामले में शासन की ओर से आख्या मांगी गई है. इसकी आख्या भेजी जा रही है. इस मामले में कार्रवाई चल रही है और शासन को इसके बारे में अवगत भी कराया जा रहा है.
डॉ. आरसी पाण्डेय, सीएमओ, आगरा