आगरा: ताजनगरी से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बृथलाके 'औषधि कुंड' की कुछ खास बात है. यहां चेहरा पर कील-मुहांसे, शरीर पर कहीं भी मस्से, खाज-खुजली, किसी भी तरह के चर्म रोग से छुटकारा, महज इस कुंड में नहाने से कई लोगों को लाभ मिला है. यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. इस 'औषधीय कुंड' की यह मान्यता है कि इसके पानी से नहाने पर सभी तरह के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. इस 'औषधीय कुंड' का जिक्र श्रीमद्भागवत और अन्य पुराणों में भी है. यहां पर सतयुग में देवताओं के राजा इंद्र ने ब्रह्म हत्या से बचने के लिए सात कुंडीय हवन यज्ञ किया था. वहीं द्वापर में यहां भगवान श्रीकृष्ण ने लीलाएं की थीं, इसलिए इसे लीला विलास भी कहते हैं.
ये है पौराणिक कहानी
यज्ञ बृथला मंदिर के नागा बाबा महंत महेश गिरी ने बताया कि सतयुग में वृत्रासुर नाम के राक्षस ने जब इंद्र के सिंहासन पर कब्जा कर लिया था, तो सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए थे. भगवान विष्णु ने वृत्रासुर के वध के लिए देवताओं को बताया कि अगर महर्षि दधीच की अस्थियों का वज्र बनाया जाए, तो उससे वृत्रासुर का वध होगा. सभी देवताओं की विनती महर्षि दधीच ने स्वीकारी और उन्होंने अस्थियां दान की, जिससे वज्र बनाया गया. इससे इंद्रदेव ने वृत्रासुर का वध किया.
वृत्रासुर ब्राह्मण कुल में पैदा हुआ था. जब वृत्रासुर के वध से देवराज इंद्र को ब्रह्म हत्या का पाप लगा, तो उन्होंने इसके लिए बृथला में 7 कुंडीय हवन यज्ञ किया, तभी से यह बृथला कुंड के नाम से जाना जाता है. इस गांव का नाम भी वृत्रासुर राक्षस के नाम पर वृथला पड़ा है. इस वृथला कुंड का जिक्र श्रीमद्भागवत और अन्य पुराणों में भी है.
मंदिर से मथुरा-वृंदावन तक गुफा शास्त्री बृजमोहन ने बताया कि बृथला कुंड का नाम लीला विलास भी है. जब द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया, तो वे मथुरा और वृंदावन से गुफा के जरिए यहां पर आकर लीलाएं करते थे. इस कुंड से मथुरा और वृंदावन को जोड़ने वाली गुफा भी है, जोकि ढह जाने से बंद कर दी गई है. भगवान श्री कृष्ण के यहां लीला करने से जन्माष्टमी पर बहुत बड़ा मेला भी लगता है. साथ ही यह भी बताया जाता है कि जन्माष्टमी पर कुछ क्षण के लिए इस कुंड का पानी दूध जैसा सफेद हो जाता है.
लॉकडाउन की पाबंदी दिखी
बृथला मंदिर के महंत महेश गिरी और स्थानीय लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते तीन माह से अब तक आसपास के एक या दो चर्मरोगी यहां पर आए. अनलॉक 2 में अब धीरे-धीरे कुंड में नहाने आने वाले चर्म रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. रविवार को कुंड में नहाने और मंदिर में पूजा-पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सैकड़ों में पहुंच जाती है.