आगरा: तीर्थराज बटेश्वर यानी यमुना किनारे शिव मंदिरों की श्रंखला वाला धाम. यह पवित्र बटेश्वरधाम आगरा मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर स्थित है, जो बाह विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पड़ता है. बाह की दो बड़ी खासियत है. पहली यह कि बाबा बटेश्वरनाथ की धरती पर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का बचपन बीता और दूसरी बात यह है कि आजादी के बाद से 11 बार यहां भदावर राजघराने के सदस्य ही विधायक बने हैं. इस बार भाजपा ने मौजूदा विधायक भदावर राजघराने की रानी पक्षालिका सिंह पर विश्वास जताया है. रानी पक्षालिका सिंह की जीत की राह रोकने के लिए सपा ने बसपा से आए पूर्व विधायक मधुसूदन शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि बसपा से नितिन वर्मा और कांग्रेस से मनोज दीक्षित मैदान में हैं. बाबा बटेश्वरनाथ और बाह की जनता किसे अपना आशीर्वाद देगी. इसका पता तो 10 मार्च को चलेगा. लेकिन यहां की जनता का क्या मूड है? जनता किसे यहां से चुनकर लखनऊ भेज रही है. इस पर देखें और पढ़ें ईटीवी भारत की बाह से खास रिपोर्ट...
बता दें कि यूपी में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें से बाह विधानसभा से अब तक 11 विधानसभा चुनाव में भदावर राजघराने के सदस्य ही विधायक बने हैं. साल 1962 में पहली बार इस सीट से भदावर राजघराने के राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी. फिर यहां से राजघराने के सदस्य ही विधायक बने. लेकिन साल 2007 में बसपा से चुनाव मैदान में उतरे मधुसूदन शर्मा ने राजघराने के राजा अरिदमन सिंह को हराकर उलटफेर किया था. लेकिन पांच साल बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर राजा अरिदमन सिंह ने सपा की टिकट पर चुनाव जीत ली और कैबिनेट मंत्री भी बने. वहीं, 2017 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरीं भदावर राजघराने की रानी पक्षालिका सिंह को यहां भारी मतों से जीत मिली.
बाह में यूं बन रहे जातीय समीकरण
बाह विधानसभा के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां 80000 ठाकुर मतदाता और 80000 ब्राह्मण मतदाता हैं. यहां पर 40000 निषाद और 40 हजार के करीब ही जाटव मतदाता हैं. इसके अलावा यहां पर वैश्य, गुर्जर, मुस्लिम सहित अन्य तमाम जाति के मतदाताओं की संख्या भी हजारों में हैं. जिस तरह से जातिगत समीकरण बन रहे हैं. उसके मुताबिक ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए सपा ने बसपा छोड़कर आए मधुसूदन शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने भी ब्राह्मण समाज के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मनोज दीक्षित को मैदान में उतारा है.
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बसपा ने निषाद वोट बैंक को देखकर नितिन वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. मगर यहां सीधी टक्कर भाजपा प्रत्याशी व मौजूदा विधायक रानी पक्षालिका सिंह और सपा के प्रत्याशी पूर्व विधायक मधुसूदन शर्मा के बीच है. सपा प्रत्याशी मधुसूदन शर्मा की स्थिति इसलिए मजबूत दिखाई दे रही है. क्योंकि हाल में ही फतेहाबाद से भाजपा विधायक जितेंद्र वर्मा ने टिकट कटने पर सपा ज्वाइन की है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया है. विधायक जितेंद्र वर्मा की निषाद समाज में अच्छी पकड़ है. इसलिए सपा की छोली में ब्राह्मण, वैश्य और निषाद समाज का वोट भी जा रहा. जिससे बसपा और भाजपा को नुकसान होगा.
जनता बोली विकास हुआ, बदल गए बटेश्वर के घाट