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आगरा: पहले नोटबंदी, जीएसटी और अब बाढ़ ने जूता कारोबार को किया चौपट - आगरा का जूता कारोबार बाढ़, जीडीपी की मार से ठप

उत्तर प्रदेश के आगरा में जूता एक लघु और कुटीर उद्योग है. यहां पर बड़ी फैक्ट्री और कारखानों के साथ ही गली, मोहल्ले और घर-घर में जूता बनाया जाता है. इसकी दुनिया भर में पहचान है. आगरा से ही 65 प्रतिशत जूता आपूर्ति किया जाता है.

आगरा में जूता कारोबार हुआ मंद

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Published : Sep 10, 2019, 11:29 AM IST

आगरा:आगरा का जूता व्यवसाय अघोषित मंदी की मार झेल रहा है. पहले नोटबंदी से कारोबार चौपट हुआ. कुछ कारोबार और कारोबारी संभले तो जीएसटी आ गई फिर जूता उद्योग बेपटरी हो गया. अब गिरती जीडीपी और देशभर में आई चौतरफा बाढ़ ने एक बार फिर जूता कारोबार की कमर तोड़कर रख दी है. बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. व्यापारी परेशान है. बाजार से उधारी की रकम वापस नहीं आ रही है. नए आर्डर भी नहीं मिल रहे हैं. यही वजह है कि अब जूता कारोबारियों को दीपावली का त्यौहार भी फीका रहने का डर सताने लगा है.

आगरा में जूता कारोबार हुआ मंद
70 प्रतिशत लेबर बैठी है घर परशूज कारोबारी सारिक अनीस ने बताया कि आगरा का जूता हिंदुस्तान ही नहीं, पूरे दुनिया भर में प्रसिद्ध है. जूता उद्योग के हालात बहुत खराब चल रहे हैं. कारोबार में जुड़ी लेबर को पूरा काम नहीं मिल पा रहा है. हम 30 प्रतिशत लेबर से ही काम ले पा रहे हैं. बाकी की 70 प्रतिशत लेबर काम छोड़कर जा चुकी है. वजह यह है कि त्योहारी सीजन दीपावली है, लेकिन अभी तक हमें इसके लिए किसी पार्टी से न ऑर्डर मिला है और न ही सैंपल पास नहीं हुए हैं. ऐसे में हमारे पास जब काम ही नहीं है तो हम कैसे लेबर का काम पर लगाएं.40 प्रतिशत ही रह गया जूता कारोबारआगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष गागनदास रमानी ने बताया कि नोटबंदी से उधारी 4 माह से बढ़कर 6 महीने हो गया उसके बाद जीएसटी आ गई. जीएसटी से व्यापारियों का रिटर्न का पैसा भी फंस गया. इस वजह से भी कारोबार में मंदी आई है. इसके साथ ही अभी जो बाढ़ आई. इससे जूता व्यापार पर काफी असर पड़ा है. नोटबंदी, जीएसटी और बाढ़ से 60 प्रतिशत कारोबार प्रभावित हुआ है. अब सिर्फ 40 प्रतिशत ही जूता का कारोबार चल रहा है.
  • आगरा में जूता का 6500 करोड़ रुपए का कारोबार है
  • आगरा में 3.50 लाख से ज्यादा वर्कर्स जूता कारोबार से जुड़े हुए हैं.
  • आगरा की जूता उद्योग में 12,500 से ज्यादा फैक्ट्री और छोटे बड़े कारखाना हैं
  • पांच लाख की आबादी शहर में शूज इंडस्ट्रीज पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है.
  • आगरा में 8 हजार छोटे-बड़े जूता उद्यमी है.
  • आगरा में 200 से ज्यादा बड़े एक्सपोर्टर हैं.


जब माल बिका नहीं, तो खरीदने कैसे आएं कारोबारी
शूज कारोबारी प्रदीप मेहरा ने बताया कि हिंदुस्तान के चारों कोनों पर बाढ़ आई है. इसका असर भी जूता कारोबार पर पड़ रहा है. जब वहां के व्यापारी कारोबार नहीं कर पा रहे हैं तो वे आगरा जूता खरीदने कैसे आएं. यही वजह है कि आगरा में जूता का कारोबार थम सा गया है. वैसे इन दिनों में बहुत अच्छा जूता का कारोबार चलता था, लेकिन इस साल बहुत ही मंदी का माहौल है.

खर्चा भी नहीं निकल रहा है
लोडिंग रिक्शा चालक बाबू ने बताया कि खर्चा ही पूरे नहीं हो पा रहे हैं. पहले जहां दिन में चार सौ से पांच सौ रुपये का काम कर लेता था. अभी हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ रुपए कमाना भी मुश्किल हो रहा है. इन रुपये में परिवार का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है.

बाढ़ से दो तिहाई कारोबार पर असर
आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष व जूता कारोबारी तिलकराज महाजन ने बताया कि, आज जूता कारोबार पर कुदरत के कहर ने काफी असर डाला है. देशभर में आई चौतरफा आई बाढ़ से जूता कारोबार भी प्रभावित हुआ है. हम बात करें तो बखढ़ का दो तिहाई असर इस समय जूता के कारोबार पर पड़ा है. बाकी का एक तिहाई असर जीएसटी की वजह से हुआ है.

यहां घरों और कारखानों में बनता है जूता
आगरा में लघु कुटीर उद्योग के रूप में शूज कारोबार चल रहा है. छोटे-बड़े कारखाने और घरों में लोग जूते तैयार करते हैं. अगर शहर की बात की जाए तो सबसे ज्यादा जूता जगदीशपुरा, किशोरपुरा, लोहामंडी, हींग की मंडी, सदर के क्षेत्र, बिजली घर, चक्की पाट, मोतीमहल, काजीपाड़ा, बुंदू कटरा, शहीद नगर, शाहगंज, बारह खंभा सहित अन्य क्षेत्रों में जूते बनाए जाते हैं.





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