आगरा :अंग्रेजी हकूमत में डीएसपी की नौकरी छोड़कर बाह गांव के शंभूनाथ चतुर्वेदी उस वक्त राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ जुड गए थे. 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' आंदोलन में शामिल हुए. सन् 1960 के नगर महापालिका चुनाव में स्वर्गीय शंभूनाथ चतुर्वेदी पहले नगर प्रमुख बने थे. कांग्रेस और रिपब्लिकन पार्टी ने गठबंधन में कांग्रेस से शंभूनाथ चतुर्वेदी चुनाव में उतरे थे. तब रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य को उप नगर प्रमुख बनाया गया था.
बता दें कि, बाह गांव निवासी शंभूनाथ चतुर्वेदी अंग्रेजी हुकूमत में डीएसपी थे. देश में आजादी का बिगुल बज चुका था. आंदोलन चरम पर था. ऐसे में शंभूनाथ चतुर्वेदी भी महात्मा गांधी से प्रभावित हुए. उन्होंने सन 1942 में डीएसपी पद से इस्तीफा दे दिया. फिर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ गए. तब उन्होंने सेंट जॉन्स कॉलेज में जनसभा की तो उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया. करीब तीन साल शंभूनाथ चतुर्वेदी जेल में रहे. फिर, देश आजाद हो गया. इसके बाद वे समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय हो गए.
तब आगरा नगर महापालिका में था कांग्रेस का दबदबा :वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पार्षद शिरोमणि सिंह बताते हैं कि 'एक फरवरी 1960 को आगरा नगर महापालिका अस्तित्व में आई थी. उस समय नगर महापालिका में 27 वार्ड थे. तब सभी हर वार्ड से दो सदस्य चुनने का नियम था. इस तरह तब नगर महापालिका में 54 सदस्य चुनाव जीते और छह नामित सदस्य चुने गए. तब यह भी नियम था कि सदस्यों के बहुमत से नगर प्रमुख बनाए जाते थे. इस पर कांग्रेस और रिपब्लिकन पार्टी के बीच गठबंधन इस शर्त पर हुआ कि नगर प्रमुख कांग्रेस का होगा. जिसका कार्यकाल एक वर्ष का होगा. इसके साथ ही उप नगर प्रमुख रिपब्लिकन पार्टी का चुना जाएगा. तब उप नगर प्रमुख का कार्यकाल पांच वर्ष का था, लेकिन उन्हें हर वर्ष बदला जाएगा. तब कांग्रेस और रिपब्लिकन पार्टी के 44 सदस्यों के बहुमत से शंभूनाथ चतुर्वेदी आगरा के पहले नगर प्रमुख बने थे.'