आगरा: गर्भवती होने के साथ ही एक औरत का जीवन नई उम्मीदों से भर जाता है, लेकिन आने वाले दिनों की चिंता भी उसे सताने लगती है. ये चिंता खुद से ज्यादा गर्भ में पल रहे भविष्य के लिए होती है. सभी तंदुरुस्त और स्वस्थ्य बच्चे की चाह रखते हैं. मगर जिससे तंदुरस्त बच्चे की आस होती है, जब उसी की सेहत का किसी को ख्याल नहीं तो फिर ऑगन में स्वस्थ्य किलकारी कैसे गूंजेगी? मौजूदा दौर में ज्यादातर गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं. इनमें हाई रिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ गई है. साथ ही असमय प्रसव होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है. वहीं प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है.
ज्यादातर महिलाओं में है खून की कमी
जिले के महिला जिला अस्पताल में अधिकतर गर्भवती एनीमिया की शिकार हैं. यही वजह है कि हाईरिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ी है. महिला चिकित्सालय में स्थित पैथोलॉजी की रिपोर्ट के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. बीते 11 माह में महिला जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में 30,898 गर्भवती और अन्य बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की खून की जांच हुई. इसमें 70 प्रतिशत यानी 21 हजार से ज्यादा महिलाएं एनीमिक मिली हैं. इनमें 1024 गर्भवती के शरीर में सात ग्राम से भी खून कम है.
आयरन टैबलेट और लगाए जाते हैं इंजेक्शन
जिला महिला चिकित्सालय में आने वाली गर्भवती महिलाओं में 9 से 11 ग्राम तक खून का स्तर है, तो उन्हें आयरन की एक टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. सात ग्राम से 9 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर आयरन की दो टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. 7 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन वाली गर्भवती महिलाओं के आयरन सुक्रोज के छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं. ये हर तीसरे दिन लगाए जाते हैं. जबकि एक गर्भवती को 35 ग्राम आयरन मिलना चाहिए.
खाने से मिले कम से कम 35 ग्राम आयरन