आगरा :दुनिया फतेहपुर सीकरी को मुगलिया सल्तनत की पहली राजधानी के नाम से जानती है. हर दिन देश-विदेश से सैलानी यहां बुलंद दरवाजा, अकबर के बनवाए महल और किला देखने आते हैं. मगर, यहां का इतिहास आदिकाल के समय का रहा है. फतेहपुर सीकरी के आसपास अरावली की पहाड़ियों और जंगलों में आज से सात हजार साल पहले आदिमानव रहते थे. इसका प्रमाण मदनपुरा, पतसाल, रसूलपुर, जाजोरी और चुरियारी गांव में मौजूद अरावली की पहाड़ियों पर बने शिला चित्र (रॉक पेंटिंग) और गुफाएं हैं. रॉक पेंटिंग का हजारों साल बाद भी रंग फीका नहीं पड़ा है.
अवैध खनन से रॉक शेल्टर्स की अनमोल धरोहर नष्ट
रॉक आर्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की नजर मुगलों की राजधानी रहे फतेहपुर सीकरी के आसपास मौजूद अरावली की पर्वत श्रृंखला में छिपे हजारों साल पुराने इतिहास पर पड़ी. इसके सचिव पुरातत्वविद डॉक्टर गिरिजा कुमार ने 80 के दशक में फतेहपुर सीकरी के आसपास रसूलपुर में 12, मदनपुरा में तीन, जादोली में 8 और 5 साल में 4 रॉक शेल्टर की खोज की थी. उस समय की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि अवैध खनन से रॉक शेल्टर्स को बहुत क्षति पहुंची है. अवैध खनन से अनमोल धरोहर नष्ट हो रही हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इन रॉक शेल्टर्स के आसपास खनन करने पर रोक लगा दी थी.
क्या कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने अपनी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में फतेहपुर सीकरी के आस-पास के गांव में मौजूद अरावली की पर्वत श्रृंखला में बने दुर्लभ शिला चित्र और इतिहास के बारे में भी लिखा है. इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' का कहना है कि पतसाल, मदनपुरा, रसूलपुर और अन्य गांव में मिली रॉक पेंटिंग में पेड़-पौधे, पशु, समूह नृत्य, हथियारों, हिरण, दंतीला हाथी, नीलगाय और जंगली जानवरों की रॉक पेंटिंग मिली हैं. अनुमान है कि आदिमानव एक-दूसरे से संवाद के लिए इन रॉक पेंटिंग का इस्तेमाल किए होंगे, क्योंकि उस समय संवाद की भाषा साइन लैंग्वेज ही थी. इसके साथ ही इन रॉक पेंटिंग से उस क्षेत्र में पाए जाने वाले जंगली जानवर और वनस्पतियों की जानकारी होती थी.
पर्यावरणविद ने की शिला चित्र के संरक्षण की मांग
पर्यावरणविद डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य का कहना है, 'फतेहपुर सीकरी के पास पहाड़ियों पर बनी शिला चित्र के बारे में मुझे क्लीनिक पर आने वाले ग्रामीण मरीजों ने बताया था. मैं फतेहपुर सीकरी पहुंचा तो सबसे पहले रसूलपुर, मदनपुरा और पतसाल गांवों में मौजूद पहाड़ों पर गया. वहां पर मुझे पहाड़ पर तमाम पेंटिंग मिलीं. हिरण का शिला चित्र बहुत फेमस है. यहां के शिला चित्रों की रिपोर्ट बनाई और एएसआई के पूर्व अधिकारियों से बातचीत की. इसके बाद मैं पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल से मिलकर उन्हें सभी दस्तावेज दिए और शिला चित्रों को संरक्षित करने की मांग की, जिस पर उन्होंने इन शिला चित्रों को संरक्षित करने के लिए एएसआई के अधिकारियों को निर्देश दिए.'