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SAWAN 2021: ब्रिटिश हुकूमत को मोड़नी पड़ी थी रेलवे लाइन, जानें शिव मंदिर की खासियत

आगरा में सावन के महीने में शिवभक्त शिव मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं. ताजनगीर में 6 प्राचीन शिव मंदिर है और सभी मंदिरों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. जिसमें से एक आगरा के कलेक्ट्रेट के पास स्थित 'रावली मंदिर' भी है. बताया जाता है कि इस मंदिर की शिवलिंग के सामने ब्रिटिश काल में अंग्रेज भी नतमस्तक हो गए थे.

सावन.
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Published : Aug 11, 2021, 6:13 AM IST

Updated : Aug 11, 2021, 6:29 AM IST

आगरा:सावन का महीना शुरू हो चुका है. हिन्दू पंचांग का यह पांचवां महीना है, जिसका धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है. शिव भक्तों के लिए सावन माह सभी महीनों में सबसे पवित्र माह होता है. इसलिए इस माह को भगवान शिव की उपासना के लिए काफी अच्छा माना जाता है. सावन के चारों सोमवार शिव भक्तों के लिए वरदान से होते हैं. कहा जाता है कि सावन के महीने में भक्त भोले बाबा से जो भी वरदान मांगते हैं. भोले बाबा उनकी मुराद पुरी करते हैं.

आगरा में सावन के महीने में शिवभक्त शिव मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं. वैसे आगरा में 6 प्राचीन शिव मंदिर है और सभी मंदिरों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. जिसमें से एक आगरा के कलेक्ट्रेट के पास स्थित 'रावली मंदिर' है. बताया जाता है कि इस मंदिर की शिवलिंग के सामने ब्रिटिश काल में अंग्रेज भी नतमस्तक हो गए थे. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां 7 सोमवार पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

मंदिर का इतिहास

मंदिर के महंत के अनुसार जयपुर के राजा मान की बहन को शिव जी ने स्वप्न दिखाया और स्वप्न में कहा कि पास की अटक नदी में शिवलिंग है. शिवलिंग को वहां से निकालकर आगरा में स्थापित किया जाए. साथ में यह भी कहा कि शिवलिंग को जिस जगह भी रखा जाएगा. वह वहीं पर स्थापित हो जाएगा.

राजा मान की बहन ने अपने भाई को सपना बताया. जिसके बाद राजा मान ने अपने सिपाहियों को आदेश देकर नदी से शिवलिंग को निकलवाया. स्वप्न के अनुसार शिव जी ने कहा था कि जिस जगह पर भी शिवलिंग को रखा जाएगा. वह वहीं पर स्थापित हो जाएगा.

राजा मान शिवलिंग को आगरा में स्थापित करने के लिए जयपुर से निकले. वहीं, आगरा के इसी स्थान पर राजा मान शिवलिंग को रखकर विश्राम करने के लिए रुक गए. जब सुबह राजा जागे तो उन्होंने देखा कि शिवलिंग स्थापित हो चुकी है. उन्होंने कई बार शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए. सपने की बात याद कर राजा समझ गए और वहीं पर एक छोटा सा मंदिर बनवाकर मूर्ति(शिवलिंग) को स्थापित कर दिया.

शिवलिंग के सामने नतमस्तक हुए अंग्रेज
बताया जाता है कि ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों ने पटरिया बिछाने का कार्य शुरू किया. लाल किले के पास से यह पटरिया रावली मंदिर से होकर गुजर रही थी, लेकिन बीच में मंदिर आड़े आ रहा था. अंग्रेजों ने कई बार शिवलिंग को हटाने का प्रयास, लेकिन वे शिवलिंग को हटाने में असफल रहे. हार कर अंग्रेजों ने पटरियों को मोड़ कर रास्ता निकाला और मंदिर को वहीं ही स्थापित रहने दिया.

7 सोमवार को पूजा करने से होती है मनोकामना पूरी

रावली मंदिर के महंत शेखर शर्मा बताते हैं कि रावली मंदिर में 7 सोमवार पूजा करने से ही हर मनोकामना पूरी होती है. हालांकि यहां पर विशेष रूप से सावन में ही पूजा नहीं होती है. यहां पर हर सोमवार को रावली मंदिर पर मेला लगता है. इसलिए इस मंदिर पर शिव भक्तों की विशेष आस्था है.


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Last Updated : Aug 11, 2021, 6:29 AM IST

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