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जानिए, पांचवें महाकुंभ के इस शाही स्नान के बारे में...भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव का जन्म भी यहीं हुआ था

चार महाकुंभों के अलावा पांचवें महाकुंभ की भी मान्यता है. इस वक्त एक तीर्थ में पांचवें महाकुंभ का शाही स्नान चल रहा है. इसी तीर्थ में भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव का भी जन्म होने की मान्यता है. चलिए जानते हैं इसके बारे में...

प्राचीन तीर्थ बटेश्वर धाम में एकादशी पर हुआ शाही स्नान.
प्राचीन तीर्थ बटेश्वर धाम में एकादशी पर हुआ शाही स्नान.

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Published : Nov 14, 2021, 5:20 PM IST

आगराःजनपद के प्राचीन तीर्थ बटेश्वर धाम में इन दिनों पांचवें महाकुंभ का शाही स्नान चल रहा है. रविवार को देवोत्थानी एकादशी के मौके पर संतों ने यमुना में पहला शाही स्नान किया. इस मौके पर श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर बाबा बालक दास जी महाराज ने बताया कि यह पांचवा महाकुंभ है. यह महाकुंभ भोले बाबा के आदेश से चल रहा है. उन्होंने कहा कि इस तीर्थ में ही भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव का जन्म भी हुआ था. इस वजह से भी इसका काफी महत्व है.

इस तीर्थ में 375 वर्षों से मेले का भी आयोजन हो रहा है. मेले के पहले चरण में बैल, गाय, दूसरे चरण में घोड़े, ऊंट, गधे, खच्चर व अन्य पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है. तीसरे चरण में लोक मेले का आयोजन होता है. यहां बीती दो नवंबर से मेला चल रहा है. अब यहां लोक मेले की तैयारी हो रही है. रविवार को देवोत्थानी एकादशी के मौके पर संतों ने यहां शाही स्नान किया. अगला शाही स्नान कार्तिक पूर्णिमा पर होगा.

प्राचीन तीर्थ बटेश्वर धाम में एकादशी पर संतों ने तलवारबाजी के करतब भी दिखाए.

रविवार को महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 बाबा बालकदास जी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में संतों ने तीर्थ की परिक्रमा की. साधु-संतों ने मुख्य महादेव ब्रह्म लाल महाराज मंदिर से परिक्रमा यात्रा शुरू की. इसके बाद तलवारबाजी और गदाबाजी के करतब दिखाते हुए साधु वन खंडेश्वर मंदिर होकर यमुना नदी के रानी घाट स्थित मुख्य मंदिर पर पहुंचे.

महामंडलेश्वर के नेतृत्व में दर्जनों साधुओं एवं नागा संतो ने यमुना नदी में विधिवत शाही स्नान किया. गौरतलब है कि महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में बीते कई वर्षों से तीर्थ धाम बटेश्वर में संतों का शाही स्नान होता चला आ रहा है.

प्राचीन तीर्थ बटेश्वर धाम में एकादशी पर हुआ शाही स्नान.

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यहां हजारों की संख्या में संत शाही स्नान करेंगे. यमुना में डुबकी लगाकर संत भोले बाबा से आशीर्वाद लेंगे. तीर्थ धाम में कई साधु संतों ने अपने अखाड़े के साथ डेरा डाल दिया है. उनकी सुरक्षा में पुलिस भी तैनात हैं. मेले में सांस्कृतिक आयोजन भी किए जा रहे हैं.

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यह इतिहास भी है...

सन् 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर मेले की शुरुआत की थी. कहा जाता है कि भोले बाबा की कृपा से यहां कन्या पुत्र के रूप में उत्पन हुई थी. राजा भदावर ने उसी कारण से इस स्थान पर एक सौ एक मन्दिरों का निर्माण करवाया था. इस वजह से यह स्थान बटेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध है.

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