आगरा:इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में अंडाणु और शुक्राणु की अदला-बदली होने से दुनिया में नई बहस शुरू हो गई है. अप्रैल में एक अमेरिकन दंपति को आईवीएफ से चाइनीज नाक और नक्शे के बच्चे का जन्म हुआ था. ऐसा ही एक मामला डच के एक आईवीएफ क्लीनिक में भी सामने आया था. भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न हो इसलिए रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) नई तकनीकी की खोज की गई है, जिससे अंडाणु और शुक्राणु की अदला-बदली को रोका जा सके.
युवा इसार-2019 कार्यशाला का आयोजन-
- आगरा में तीन दिवसीय इंडियन सोसायटी ऑफ रिप्रोडक्शन पर युवा इसार-2019 कार्यशाला आयोजित किया गया.
- इस कार्यशाला में देश-विदेश के आईवीएफ के विशेषज्ञ और युवा भ्रूण वैज्ञानिक शामिल हुए.
- भ्रूण वैज्ञानिक डॉ. केशव मल्होत्रा ने बताया कि आईवीएफ के लिए अंडाणु और शुक्राणु से तैयार भ्रूण को गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है.
- इस दौरान किसी भी स्तर पर अदला-बदली हो सकती है, लेकिन हमारे देश में अभी ऐसा कोई केस सामने नहीं आया है.
- एक अमेरिकन दंपति को आईवीएफ से चाइनीज नाक और नक्शे के रंग का बच्चा पैदा हुआ था.
- ऐसा ही पिछले साल नीदरलैंड में एक आईवीएफ क्लीनिक में भी सामने आया था, जहां 26 कपल्स के आईवीएफ की अदला-बदली हुई थी.