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सींगना गांव के लोग भगवान राम को कहते हैं मामा, श्रृंगी ऋषि के आश्रम में आने से होती है मनोकामना पूरी - Ashram of Shringi Rishi

आगरा के गांव सिंगना (Singana village of Agra) के लोग भगवान श्रीराम को मामा कह कर बुलाते हैं. महाराज दशरथ अयोध्या से पैदल चलकर गांव सींगना ऋषि श्रृंगी (Singana Rishi Shringi) के पास पहुंचे और पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया था. जिसके परिणाम स्वरूप ही भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 10, 2024, 12:43 PM IST

सिंगना गांव के लोगों ने बताया.

आगरा:रामनगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होने जा रहा है. इस ऐतिहासिक दिन रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. इसे लेकर देश भर में उत्साह और उल्लास का माहौल है. इस कार्यक्रम को लेकर आगरा के रुनकता क्षेत्र का गांव सिंगना में श्रृंगी ऋषि का आश्रम में भी उत्सव की तैयारी की जा रही है. इस गांव के लोग भगवान श्रीराम को अपना मामा मानते हैं. मान्यता है कि त्रेतायुग में जो शृंगबेरपुर था. वो ही अब सींगना है जो श्रृंगी ऋषि की जन्मस्थली और तपोस्थली है. इसे लेकर यहां के लोग आगरा का सीधा नाता अयोध्या से जोड़ते हैं.

आगरा के सिंगना गांव का मंदिर.

श्रृंगी ऋषि की जन्म स्थली
आगरा जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर आगरा-दिल्ली हाइवे से 2 किलोमीटर दूर एक गांव सींगना है. जहां पर इस समय उत्साह का माहौल है. भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से बच्चे, किशोर, युवा, महिला, पुरुष और बुजुर्ग में उत्साह का माहौल है. ये गांव प्रभु श्री राम की बहन की ससुराल शृंगबेरपुर (सींगना) और श्रृंगी ऋषि की जन्म स्थली और तपोस्थली है. पौराणिक मान्यता है कि अयोध्या से महाराज दशरथ पैदल चलकर यहां आए और श्रृंगी ऋषि को बुला कर पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराने के लिए ले गए थे.

सिंगना गांव के मंदिर में पूजा करती महिला.

भगवान राम को बोलते हैं मामा
जानकारी के अनुसार संतान की चाहत में अयोध्या नरेश दशरथ पैदल चलकर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंचे थे और अपने साथ श्रृंगी ऋषि को पुत्र कामेष्टि यज्ञ के लिए आयोध्या साथ ले गए थे. वहीं, दूसरी मान्यता है कि श्रृंगी ऋषि और महाराज दशरथ की बेटी शांता से जुड़ी हैं. क्योंकि श्रृंगी ऋषि और शांता का विवाह हुआ था. इसलिए गांव के लोग भगवान राम को अपना मामा बुलाते हैं. अयोध्या में भव्य भगवान श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गांव सींगना में खुशी की लहर है. यमुना नदी किनारे स्थित श्रृंगी ऋषि के आश्रम में 22 जनवरी के कार्यक्रम की जोर शोर से तैयारी चल रही है. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कीठम सूर सरोवर पक्षी विहार में शांता घाट भी बनाया गया है.

महाराज दशरथ के दामाद थे ऋषि शृंगी
शृंगी ऋषि आश्रम के महंत निर्णय दास महाराज बताते हैं कि शृंगी ऋषि रामायण काल के हैं. श्रृंगी ऋषि विभांडक ऋषि के पुत्र और कश्यप ऋषि की पौत्र थे. महाराज दशरथ और रानी कौशल्या की एक पुत्री थीं. जिनका नाम शांता था. जिसे कौशल्‍या की बहन वर्षिणी और उनके पति अंग देश (अमरावती) के राजा रोमपद ने गोद लिया था. अंग देश में एक बार सूखा पड़ा था. मगर जब ऋषि श्रृंगी ने अंग देश में प्रवेश किया तो वहां पर बारिश हुई. इस पर राजा रोमपद और रानी वर्षिणी ने शांता का विवाह ऋषि श्रृंगी से कर दिया. इस तरह ऋषि शृंगी रिश्ते में राजा दशरथ के दमाद हैं. प्रभु श्री राम के रिश्ते में ऋषि शृंगी जीजा हुए. इसलिए गांव के लोग प्रभु श्री राम को अपना मामा कहते हैं.

यूं पड़ा था ऋषि शृंगी नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि विभाण्डक के कठोर तप से देवतागण भयभीत हो गये. उनके तप को भंग करने के लिए अप्सरा उर्वशी को भेजा गया. उर्वशी ने मोहित करके ऋषि विभाण्डक का तप भंग कर दिया. जब ऋषि विभाण्डक को पता चला तो उन्होंने अप्सरा उर्वशी को श्राप दिया. जिससे उर्वशी एक हिरणी बन गयी. इस पर अप्सरा को पश्चाताप हुआ. उसने ऋषि से प्रार्थना की तो ऋषि ने आशीर्वाद दिया कि, मानस पुत्र को जन्म देने से वो पाप मुक्त होकर अप्सरा बन जायेगी. एक दिन जब विभाण्डक यमुना नदी में स्नान कर रहे थे. तब नदी में ही उनका वीर्यपात हो गया. जो जल पी रही हिरणी के पेट में चला गया. जिससे ऋंगी ऋषि का जन्म हुआ. उनके माथे पर एक सींग (शृंग) था. जिससे उनका नाम ऋषि शृंगी पड़ा. ऋष्य शृंगी को जन्म देने के बाद उर्वशी श्राप मुक्त होकर धरती से स्वर्ग चली गयी.

अथर्ववेद के ज्ञाता थे ऋषि
सींगना निवासी डॉ. रामवीर सिंह 'भगत' बताते हैं कि श्रृंगी ऋषि अथर्ववेद के ज्ञाता थे. जब महाराज दशरथ के कोई संतान नहीं होने पर गुरु वशिष्ठ ने उन्हें पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि अथर्ववेद के ज्ञाता ऋषि श्रृंगी पुत्र कामेष्टि यज्ञ कर सकते हैं. क्योंकि अथर्ववेद में सिद्ध मंत्र हैं. जिनके अनुष्ठान और यज्ञ से संतान होती है. इसलिए उन्हें बुलाकर लाना होगा. गुरु वशिष्ट के आदेश पर महाराज दशरथ अयोध्या से पैदल चलकर सींगना ऋषि श्रृंगी बुलाने आए थे. यहां से श्रृंगी ऋषि अयोध्या गए. उन्होंने महाराज दशरथ के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था. जिसके परिणाम स्वरूप ही भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था.

गांव के लोग मनाएंगे दिपावली
श्रद्धालु श्वेता ने बताया कि अयोध्या से उनके गांव का सीधा नाता है. इसलिए वह अभी से 22 जनवरी की तैयारी में लगी हैं. ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है. श्रृंगी ऋषि आश्रम की साफ सफाई के साथ ही अन्य तैयारियां चल रही है. यहां बड़ी धूमधाम से 22 जनवरी को भंडारा होगा. सभी दीपावली मनाएंगे. गांव के सरपंच साहब सिंह ने बताया कि भगवान श्री राम से उकना सीधा नाता है. भगवान श्री राम उनके मामा हैं. क्योंकि भगवान श्री राम की बड़ी बहन शांता से श्रृंगी ऋषि का विवाह हुआ था. इसलिए हम अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने पर श्रृंगी ऋषि आश्रम में खुशियां मनाएंगे.

यहां पूजा अर्चना से संतान प्राप्ति
ग्रामीण दलवीर सिंह ने बताया कि श्रृंगी ऋषि आश्रम की बहुत मान्यता है. यहां पर जो भी पूजा अर्चना करता है. उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. अधिकतर लोग यहां संतान के लिए पूजा अर्चना करने आते हैं. ऋषि अथर्ववेद के ज्ञाता थे. इसलिए यहां पूजा करने से लोगों को संतान की प्राप्ति होती है. हर दिन यहां सैकड़ो की संख्या में आगरा, मथुरा और आसपास के तमाम जिलों से लोग संतान प्राप्ति के लिए पूजा करने आते हैं. जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. वे यहां पर भंडारा करने भी आते हैं. आश्रम में हर साल गुरु पूर्णिमा पर वार्षिक भंडारा होता है.

आश्रम में श्रृंगी ऋषि की दो प्रतिमाएं
गांव सींगना स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम में श्रीराम सीता का मंदिर है. हनुमान जी और शनि देव का मंदिर भी है. एक देवी मंदिर भी है. इसके साथ ही ऋषि श्रृंगी की 2 प्रतिमाएं हैं. जो एक नीचे और एक पहली मंजिल पर है. सींगना गांव से सटे सूर सरोवर पक्षी विहार की कीठम झील में भगवान श्रीराम की बहन शांता के नाम पर शांता घाट है.

भंडारा करने आई हूं
अलीगढ़ के इगलास से गांव से आई प्रेमलता चौधरी गांव सिंघाना के श्रृंगी ऋषि आश्रम में भंडारा करने आई हूं. उन्होंने बताया कि यहां पूजा करने से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी. इसलिए वह यहां भंडारा करने आई हैं. इस आश्रम में पूजा पाठ के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. सभी की मनोकामना पूरी होती है.

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