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Published : May 12, 2023, 4:21 PM IST

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वंदे भारत को लेकर रेलवे ने उठाया खास कदम, ताकि यात्री न हों हादसे का शिकार

आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए वंदे भारत ट्रेन के हर एक कोच के गेट पर स्टाफ की तैनाती की गई है. यह तैनाती हुए कुछ हादसों को ध्यान में रखकर की गई है.

वंदे भारत में यात्रियों के लिए सुरक्षा योजना
वंदे भारत में यात्रियों के लिए सुरक्षा योजना

आगरा: पीएम मोदी ने जब भोपाल से बीते एक अप्रैल को हरी झंडी दिखाकर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के लिए रवाना किया था तो आगरा को वंदे भारत की सौगात मिल गई थी. निजामुद्दीन स्टेशन के बाद आगरा में वंदे भारत का दो मिनट का ठहराव है. जिससे आगरा आने वाले और आगरा से भोपाल और नई दिल्ली जाने वाले पर्यटक व यात्रियों का सफर सुगम और फास्ट हो गया है.

मगर, बीते 42 दिन में आगरा कैंट स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के संचालन से तीन हादसे हुए. ​गनीमत यह रही कि, इन हादसों में एक भी यात्री को ज्यादा चोट नहीं आई. यह देखते हुए रेलवे ने आगरा कैंट स्टेशन पर वंदे भारत एक्सप्रेस के आने और जाने को लेकर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर विशेष योजना बनाई है. आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्त्रि श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत में विशेष सुरक्षा प्लान की नई व्यवस्था शेयर की..

वंदे भारत में यात्रियों के लिए सुरक्षा योजना
गेट नहीं खुला और उतर नहीं पाए यात्री: बात चार अप्रैल-2023 की है. आगरा कैंट स्टेशन पर वंदे भारत एक्सप्रेस रुकी. ट्रेन के गेट बंद होने से 7 यात्री अंदर ही रहे गए और ट्रेन चल पड़ी. जिससे एक चार साल का बच्चा तो ट्रेन से उतर गया. मगर, उसकी मां ट्रेन में ही रह गई. यात्रियों ने अलार्म भी बजाया. रेलवे को ट्वीट भी किए. मगर, वंदे भारत ट्रेन ग्वालियर जाकर रुकी. तब महिला ट्रेन से उतरी और ग्वालियर से महिला फिर सड़क मार्ग से आगरा पहुंची थी.
ट्रेन के गेट में फंस गया हाथ :आगरा के बल्केश्वर निवासी प्रदीप, पत्नी और बेटी दो मई-2023 को ग्वालियर जाने को आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंचे. तीनों का वंदे भारत एक्सप्रेस के कोच सी-छह में रिजर्वेशन था. जब नई दिल्ली से भोपाल जाने वाली वंदे भारत आगरा कैंट के प्लेटफार्म नंबर एक पर रुकी तो प्रदीप भीड़ की वजह से बैग ही ट्रेन के गेट में अंदर पहुंचा पाए. तभी वंदे भारत ट्रेन चलने लगी. जिससे प्रदीप का हाथ गेट पर फंस गया. वो प्लेटफार्म पर ट्रेन के साथ घिसटने लगे. गनीमत रही कि, गेट खुल गया और प्रदीप की जान बच गई.
रेलवे ने यह नई व्यवस्था की:आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्त्रि श्रीवास्तव ने बताया कि, वंदे भारत एक्सप्रेस में ऑटोमेटिक गेट खुलने और बंद होने की सुविधा यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से ही बनाई गई है. यह हाई स्पीड ट्रेन है. इसका आगरा कैंट स्टेशन पर दो मिनट का स्टॉपेज है. यह नई तरीके की ट्रेन है. या​त्रियों की सुरक्षा को लेकर ट्रेन में लगातार एनाउसमेंट होते हैं. स्टेशन पर भी एनाउसमेंट होते हैं. इसके साथ ही वंदे भारत ट्रेन के अप (आने) और डाउन (जाने) के समय हर कोच पर स्टाफ की तैनाती की है.
नई व्यवस्था के तहत जब वंदे भारत ट्रेन आगरा कैंट स्टेशन पर आएगी. यह स्टाफ अपने तय कोच के गेट के पास खड़े हो जाएंगे. जो कोच के गेट के पास खड़े होकर यह देखते हैं कि, यात्री आसानी से उतर और चढ़ रहे हैं. गेट पर भीड़ हो या यात्रियों को किसी भी तरह की दिक्कत हो तो तत्काल वंदे भारत एक्सप्रेस के ड्राइवर और चालक को सूचना देकर यात्रियों की मदद कर सकें. वंदे भारत ट्रेन के ठहराव के दौरान यात्री आराम से ट्रेन में चढ़ और उतर सकें. उनके साथ कोई हादसा न हो, इसके लिए यह नई व्यवस्था की गई है.
यह है आगरा आने की टाइमिंग:भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से सुबह 5:40 बजे रवाना होकर वंदे भारत एक्सप्रेस रानी लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन और ग्वालियर स्टेशन पर ठहराव के बाद आगरा कैंट पर सुबह 11:23 बजे पहुंचती हैं. जहां दो मिनट का ठहराव है. फिर, हजरत निजामुद्दीन दोपहर 1:10 बजे वंदे भारत एक्सप्रेस पहुंचती है. फिर, वापसी में ट्रेन हजरत निजामुद्दीन से दोपहर 2:40 बजे रवाना होकर शाम 4:20 बजे आगरा कैंट पहुंचती है. फिर, ग्वालियर और रानी लक्ष्मीबाई झांसी पर ठहराव के बाद रानी कमलापति स्टेशन पर रात 10:10 बजे पहुंचती है.
वंदे भारत ट्रेन की खासियत:स्वदेशी वंदे भारत ट्रेन बाहर से जितनी सुंदर है, अंदर से उतनी ही बेहतरीन है. वंदे भारत 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. जिसे बढ़ाकर 200 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है. इस ट्रेन को 100 किलोमीटर तक की स्पीड पकड़ने में केवल 52 सेकेंड का समय लगता है. ट्रेन के कोच की बात करें तो इस ट्रेन में ऑटोमेटिक दरवाजे हैं. ट्रेन के कोच को 2 क्लास में बांटा गया है. ट्रेन में एग्जीक्यूटिव-1 और एग्जीक्यूटिव-2 क्लास हैं. एग्जीक्यूटिव वन में घूमने वाली सीट हैं. जबकि एग्जीक्यूटिव टू में सीटों को घुमाया नहीं जा सकता है.

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