आगरा: एत्मादपुर एसडीएम प्रियंका सिंह के निर्देश पर तहसीलदार और ड्रग इंस्पेक्टर ने थाना बरहन क्षेत्र के आगरा जलेसर मार्ग स्थित गांव जमालनगर भैंस में एक मेडिकल स्टोर और जनसेवा केंद्र पर छापेमारी की. इस दौरान ड्रग इंस्पेक्टर ने कई दवाओं के सैंपल लिए, जिन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है. रिपोर्ट आने तक मेडिकल स्टोर को सील कर दिया गया है.
सोमवार को जमालनगर भैंस स्थित सर्वेश ड्रग स्टोर पर तहसीलदार प्रीति जैन एवं ड्रग इंस्पेक्टर राजकुमार शर्मा के नेतृत्व में टीम ने छापेमारी की. इस दौरान पुलिस के साथ लेखपाल भी मौजूद रहे. पुलिस की गाड़ियों का काफिला देख जमालनगर भैंस के मेडिकल संचालकों में हड़कंप मच गया. मौके से अधिकतर संचालक दुकानों के शटर बंद कर गायब हो गए. पुलिस और अधिकारियों की टीम सर्वेश ड्रग स्टोर पहुंची. यहां उन्होंने कई दवाओं के नमूने लेकर प्रयोगशाला के लिए भिजवाया. साथ ही टीम द्वारा सर्वेश ड्रग स्टोर को सील कर दिया गया.
मामले को लेकर इंस्पेक्टर राजकुमार ने बताया कि जमालनगर भैंस में एक केमिस्ट द्वारा शिकायत मिली थी कि यहां नकली दवाओं की बिक्री की जा रही है. साथ ही ड्रग स्टोर का लाइसेंस भी फर्जी है. इसकी सूचना पर अधिकारियों और पुलिस की टीम ने छापेमारी की. इस दौरान उक्त स्टोर से कई दवाओं के सैंपल लिए गए. उन्हें प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया है. जांच में यदि दवाएं नकली मिलती हैं तो आरोपी मेडिकल संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सैंपल की रिपोर्ट आने तक ड्रग स्टोर को सील कर दिया गया है.
मेडिकल संचालक ने लगाया आरोप
उधर कार्रवाई को लेकर मेडिकल संचालक एवं क्षेत्रीय किसान नेता हजारीलाल ने अधिकारियों पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विद्युत तापीय परियोजना मलावन एटा के लिए रेलवे लाइन जा रही है. जिसमें क्षेत्र के कई किसानों की भूमि अधिग्रहित होनी थी. इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कई किसानों से सहमति पत्र भरवा लिए हैं. जबकि कुछ किसानों ने उचित मुआवजा ना मिलने के कारण सहमति पत्र नहीं भरे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि तहसीलदार एवं प्रशासनिक अधिकारी कई महीनों से आरोप लगा रहे हैं कि उनकी वजह से किसान सहमति पत्र नहीं भर रहे हैं. इसी को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है.
स्टोर संचालक का कहना है कि छापेमारी के दौरान आसपास के मेडिकल स्टोर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्रवाई में क्षेत्रीय लेखपाल, राजस्व निरीक्षक से लेकर तहसीलदार तक शामिल हैं. उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है. उन्होंने किसी भी किसान को सहमति पत्र ना भरने की सलाह नहीं दी है.