आगराः"हमारी छोरिया क्या छोरो से कम हैं के" दंगल मूवी का यह हिट डायलॉग सभी को याद होगा. दंगल मूवी के इस डायलॉग ने खूब तालियां बटोरी थी, लेकिन हकीकत में इस डायलॉग को चरितार्थ करने वाली राजकुमारी की दास्तान बड़ी दिलचस्प है.
दयालबाग के दीपश्री एनक्लेव के बसेरा मार्ग स्थित एक पंक्चर की दुकान पर काम करती लड़की सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है. पंक्चर बनाने का काम अमूमन बड़ा मुश्किल काम है. जिसे ज्यादातर पुरुष ही करते नजर आते हैं, लेकिन आगरा की एक जाबांज बेटी पंक्चर के इस मुश्किल काम को भी चुटकियों में पूरा कर देती है.
पंक्चर बनाकर कर रही पढ़ाई
18 साल की राजकुमारी से ईटीवी भारत को बताया कि उनके पिता ने फेफड़ों में संक्रमण फैलने के बाद घर की माली हालत खराब हो गई थी. पिता के कंधों पर पूरे परिवार का भार था. इस संकट से बाहर निकलने के लिए मैंने अपने पिता की दुकान को संभाला. पिता को पंक्चर जोड़ते देख कर जिज्ञासा होती थी कि पंक्चर कैसे जोड़ा जाता है. देखते ही देखते राजकुमारी ने भी पंक्चर बनाना शुरू कर दिया.
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राजकुमारी बताती हैं कि क्षेत्रीय लोग मेरे पास अपनी साइकिल और बाइक के पंक्चर बनवाने आने लगे. पंक्चर के साथ मैंने साइकिल के अन्य काम भी सीख लिए. लोग मुझे यह काम करते देख कई बार हैरान होते हैं. मुझसे पूछते है कि पंक्चर बनाना कहां से सीखा. लेकिन लोगों की यह प्रतिक्रिया मुझे ओर उत्साहित करती है. जिसकी वहज से मुझे यह काम करने में मजा आता है.