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आगरा के इस 'स्कूल' से बच्चों को हटाकर निकलती हैं बाइकें

यूपी के आगरा के ताजगंज के गोबर चौकी, कच्ची सराय के परिषदीय प्राइमरी विद्यालय के बच्चे खड़ंजे और चबूतरे पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. लोग आते-जाते हैं तो बच्चे उठ-उठ कर उनको रास्ते पर चलने की जगह देते हैं.

आगरा में चबूतरे पर चलती है स्कूल.

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Published : Aug 23, 2019, 3:15 PM IST

आगरा:ताजगंज के गोबर चौकी, कच्ची सराय में एक ऐसा परिषदीय विद्यालय है, जिसमें पढ़ने वाले छात्र और छात्राएं सात साल से खड़ंजा पर बैठ कर पढ़ते रहे हैं. कोई वाहन या पैदल निकलने वाला आता है, तो बच्चे चटाई हटाकर रास्ता देते हैं. वाहन निकलने के बाद फिर खड़ंजा पर पाठशाला लग जाती है.

चबूतरे पर चल रहा विद्यालय-
प्राइमरी विद्यालय में 40 विद्यार्थी पंजीकृत हैं. इनमें अधिकतर छात्राएं हैं. परिषदीय प्राइमरी विद्यालय जिस किराये के भवन में चलता था, वह 2012 में धराशायी हो गया. इसके बाद शिक्षकों ने जुगाड़ कर बच्चों को चबूतरे पर पढ़ाना शुरू कर दिया. हालात ऐसे हैं कि सात साल से बच्चे चबूतरे और खरंजे पर बैठकर पढ़ रहे हैं.

आगरा में चबूतरे पर चलती है स्कूल.

छात्रा आशी का कहना है कि यहां पर नाली है. जब धूप आती है तो खड़ंजा पर बैठकर पढ़ना पड़ता है. बारिश की वजह से जल्दी छुट्टी हो जाती है. हम सही से पढ़ भी नहीं पाते हैं और न ही यहां पर शौचालय की व्यवस्था है. रसोईया बोबी ने बताया कि तीन साल से वह मिड डे मील पका रही हैं. घर से मिड डे मील पकाकर लाती हैं और यहां बच्चों को बांटती हैं.

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एक से पांचवीं के बच्चे एक जगह बैठकर करते हैं पढ़ाई-
शिक्षिका सोना शर्मा ने बताया कि पांच साल से वह यहां पर नियुक्त हैं. उससे दो साल पहले से ही यह विद्यालय ऐसे ही चबूतरे और खड़ंजा पर चल रहा है. बच्चों को पढ़ाने में बहुत दिक्कत होती है. कक्षा एक से पांचवीं के बच्चे एक साथ एक जगह बैठते हैं.

परिषदीय प्राइमरी विद्यालय गोबर चौकी की प्रधानाध्यापिका राजरानी ने बताया कि बहुत सी दिक्कत हैं. यदि धूप आ जाए तो छुट्टी करनी पड़ती है और बारिश होने पर भी छुट्टी करनी पड़ती है. यहां शौचालय नहीं है. विद्यालय में बच्चियां पढ़ती हैं. इसलिए भी जल्दी छुट्टी करनी पड़ती है. विभाग में भी लगातार शिकायत कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब भी कोई अच्छी जगह मिलेगी तो स्कूल को शिफ्ट कर दिया जाएगा.

एबीएसए आगरा नगर क्षेत्र नीलम सिंह का कहना है कि विद्यालय किराए के भवन में चलता था. उसका भवन धराशायी हो गया है. इस वजह से चबूतरे और खड़ंजा पर विद्यालय चलता है. वहां पर जगह नहीं है. इस वजह से वहां शौचालय या अन्य कोई व्यवस्था भी नहीं कर सकते हैं. इसकी जानकारी शासन को भी है. काफी समय से विवादित है. जो भी हमें शासन से निर्देश मिलेंगे. उसके आधार पर ही कार्य किया जाएगा.

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