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आगरा में बनेगी नक्षत्रशाला और साइंस पार्क: विद्यार्थी देंखेंगे विज्ञान के मॉडल, 2.76 एकड़ जमीन मिली - विज्ञान के मॉडल

आगरा में जल्द ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एक नक्षत्रशाला और साइंस पार्क (planetarium and science park) विकसित करेगा. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने डीएम आगरा के निर्देश पर 2.76 एकड़ भूमि देने की स्वीकृति दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 5, 2024, 3:08 PM IST

Updated : Jan 6, 2024, 6:17 AM IST

जानकारी देते जिला बेसिक शिक्षाधिकारी जितेंद्र कुमार गौड़

आगरा :ताजनगरी में विज्ञान स्पेशल के आविष्कार से अब स्कूलों के बच्चे दूर नहीं रहेंगे. देश की राजधानी दिल्ली, लखनऊ और प्रयागराज की तरह ही अब आगरा में भी भूमि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एक नक्षत्रशाला और साइंस पार्क विकसित करेगा. यह नक्षत्रशाला और साइंस पार्क शाहगंज के भोगीपुरा स्थित राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल के पास पड़ी जमीन पर बनेगा. जिसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने डीएम आगरा के निर्देश पर 2.76 एकड़ भूमि देने की स्वीकृति दी है. नक्षत्रशाला और साइंस पार्क बनने से जिले के करीब 3 लाख स्कूली छात्र-छात्राएं विज्ञान के आविष्कार, विज्ञान के सिद्धांत, इसरो और नासा के बारे में जानकारी मिलेगी.


आगरा में बनेगी नक्षत्रशाला व साइंस पार्क



बता दें कि नक्षत्रशाला एवं साइंस पार्क की स्थापना के लिए डीएम से 10 से 28 एकड़ भूमि मांगी गई थी. इसके बाद एसडीएम सदर ने भोगीपुरा के 2.76 एकड़ भूमि का प्रस्ताव बनाकर भेजा दिया था. ये भूमि जिला बेसिक शिक्षा विभाग की थी. इस भूमि को अब बेसिक शिक्षा विभाग ने नक्षत्रशाला एवं साइंस पार्क की स्थापना को देने की स्वीकृति दे दी है.

शाहगंज में बनेगी नक्षत्रशाला व साइंस पार्क

पहले चलता था ट्रेनिंग सेंटर :जिला बेसिक शिक्षाधिकारी जितेंद्र कुमार गौड़ ने बताया कि 'नक्षत्रशाला व साइंस पार्क की स्थापना के लिए विभाग ने जमीन उपलब्ध कराई है. यह जमीन राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल के पास है. जहां पर पहले ट्रेनिंग सेंटर चलता था. इस जमीन पर नक्षत्रशाला व साइंस पार्क बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था.'

कटेंगी झाड़ियां और कटीले पेड़ :बता दें कि राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल के पास जो जमीन नक्षत्रशाला व साइंस पार्क की स्थापना के लिए दी गई है. उस पर अभी कटीले पेड़ और झाड़ियां खड़ी हैं. जल्द ही यहां नक्षत्रशाला व साइंस पार्क का कार्य शुरू होगा तो ये झाड़ियां और कंटीले पेड़ काटे जाएंगे. आगरा में बनने वाले साइंस पार्क और नक्षत्रशाला देखकर बच्चों के ज्ञान और सृजनात्मकता में वृद्धि होगी.

विद्यार्थियों को मिलंगे ‘क्यों और कैसे’ के ज़वाब :जिला बेसिक शिक्षाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि लखनऊ और प्रयागराज में पहले से नक्षत्रशाला व साइंस पार्क हैं. मैंने खुद प्रयागराज का नक्षत्रशाला व साइंस पार्क देखा है. यह केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं. यह बच्चों के ज्ञान और सृजनात्मकता में वृद्धि करते हैं. क्योंकि, नक्षत्रशाला व साइंस पार्क में बच्चे काम करने वाले मॉडल व विभिन्न वैज्ञानिक अवधारणाओं को दर्शाने वाले दृश्यों को देखते हैं, जिससे उन्हें आसानी से वैज्ञानिक नियम और सिद्धांत समझ में आते हैं. साइंस पार्क सभी बच्चों के लिए जरूरी है. क्योंकि, हर विद्यार्थी में सदैव हर चीज के बारे में ‘क्यों और कैसे’ जानने की उत्सुकता होती है, जिसके जबाव नक्षत्रशाला व साइंस पार्क में मॉडल से विद्यार्थियों को मिलेंगे.


रंग से भी दी जाएगी शिक्षा :जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने बताया कि आगरा में प्रस्तावित साइंस पार्क में मौजूद हर वस्तु यहां आने वाले बच्चों को शिक्षा देगी. साइंस पार्क में लगने वाली बैंच सफेद, भूरे व काले रंग के पत्थर की बनेंगी, जिससे बच्चे जब इन बैंचों पर बैठेंगे तो उन्हें ऊष्मा के अवशोषण के सिद्धांत समझाए जा सकेंगे. इसके साथ ही पिन होल कैमरा, पेरीस्कोप व स्कू के सिद्धांत पर बना पानी उठाने वाला मॉडल, संगीतात्मक पाइप्स, पानी का आसवन दर्शाने वाला सौर मॉडल व सौर ऊर्जा से प्रकाशित होने वाले ट्यूब लाइट भी लगाए जाएंगे. साइंस पार्क में ग्रेविटी, उपगृह, चंद्रयान सहित नासा से जुड़ी जानकारी भी बच्चों को मिलेगी.


साइंस पार्क में खेल-खेल में सीखेंगे बच्चे :जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित साइंस पार्क में आने वाले विद्यार्थी प्रकृति के जटिल व्यवहार भी खेल-खेल में सीख सकेंगे. क्योंकि, पार्क में सामान्य वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने वाले कई मॉडल होंगे, जो बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र होने के साथ ही शिक्षा भी देंगे. इसके साथ ही साइंस पार्क में झूलों के जरिए उनकी विशेषता बताई जाएगी. झूलों का आधार हमेशा केंद्र में नहीं होगा. ताकि, बच्चे समझ सकें कि, एक पतला सा बच्चा भी बिना किसी विशेष प्रयास के मोटे बच्चे को भी आसानी से उठा सके. झूलों की लंबाई भी अलग-अलग होगी, ताकि झूलते हुए बच्चे की लंबाई व समय के बीच संबंध को समझ सकें.

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Last Updated : Jan 6, 2024, 6:17 AM IST

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