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आगरा में 10 साल से पानी के लिए इंतजार कर रहे वार्ड नं. 65 के लोग

यूपी के आगरा में यमुनापार के वार्ड नं. 65 में क्षेत्रवासी पिछले 10 साल से पाइप लाइन में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं. क्षेत्र के लोग पानी के लिए प्राइवेट सबमर्सिबल पंप और सरकारी हैंड पंप पर निर्भर हैं, लेकिन उसमें भी खारा पानी निकलने की वजह से न तो लोग उससे नहा पाते हैं और न ही पी पाते हैं. शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

सरकारी हैंड पंप पर निर्भर आगरा के लोग.
सरकारी हैंड पंप पर निर्भर आगरा के लोग.

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Published : Feb 13, 2021, 1:29 PM IST

आगरा: यमुनापार के वार्ड नं. 65 के करीब 40 से 50 हजार लोग पिछले 10 साल से क्षेत्र में लगी पाइप लाइन में पानी आने का इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं, लेकिन आज भी उन्हें पानी नहीं मिल पा रहा है. पानी की एक-एक बूंद के लिए क्षेत्रीय लोगों को रोजाना संघर्ष करना पड़ रहा है. क्षेत्र के लोग पानी के लिए प्राइवेट सबमर्सिबल पंप और सरकारी हैंड पंप पर निर्भर हैं, लेकिन उसमें भी खारा पानी निकलने की वजह से न तो लोग उससे नहा पाते हैं और न ही पी पाते हैं. क्षेत्रीय पार्षद का भी आरोप है कि जल निगम यहां के लोगों की पानी की समस्या देखकर भी अनदेखा कर रहा है.

एक-एक बूंद के लिए करना पड़ रहा संघर्ष
थाना एत्मादुद्दौला क्षेत्र के वार्ड संख्या 65 के अंतर्गत प्रकाश नगर, गौतम नगर, सुशील नगर, शांति विहार और अब्बास नगर में करीब 40 से 50 हजार लोगों की जनसंख्या है. क्षेत्र में पानी की कोई भी स्थाई व्यवस्था न होने के कारण लोगों को रोजाना पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. सभी लोग कभी टैंकर, कभी सबमर्सिबल तो कभी हैंडपंप से पानी भरकर अपने रोजमर्रा के काम पूर्णं कर रहे हैं.

सरकारी हैंड पंप पर निर्भर आगरा के लोग.

2010 में डाली गई थी पाइपलाइन
दरअसल क्षेत्र में 2010 में भीम नगरी के तहत पानी की 7 से 8 इंच की पाइप लाइन डालने का काम किया गया था, जिसमें करीब 4 करोड रुपए खर्च हुए थे. क्षेत्र की समस्या को देखते हुए यह पाइपलाइन चारों तरफ डाली गई थी, लेकिन करीब 10 साल बीत चुके हैं अभी तक न तो इन पाइपलाइन का कोई पता है और ना ही इनमें पानी आता है. क्षेत्र में कहीं भी कोई पानी की टंकी नहीं है, जिसकी वजह से लोग अपने-अपने घरों में सबमर्सिबल लगवाने के लिए मजबूर हैं. लेकिन उनमें भी खारा पानी आने की वजह से लोगों को पीने के लिए पानी खरीद कर लाना पड़ता है.

200 हैंडपंप हैं खराब
क्षेत्र में करीब ढाई सौ हैंडपंप लगे हुए हैं, लेकिन पिछले करीब दो-तीन साल से मात्र 40 से 50 हैंडपंप चालू है और करीब 200 हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं. क्षेत्रीय पार्षद ने 100 हैंडपंप रिबोर करने के लिए कई बार जल निगम को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं की गई है. स्थानीय निवासी प्रेमलता का कहना है कि पहले वह दूसरों के घर से पानी लाकर काम चलाते थे, लेकिन अब अपने घर में सबमर्सिबल लगवा लिया है, जिससे कुछ काम हो जाता है. लेकिन उसमें खारा पानी आने की वजह से पीने का पानी वाटर प्लांट वालों से खरीदना पड़ता है.

हैंडपंपों पर हैं निर्भर
स्थानीय निवासी दिलीप का कहना है क्षेत्र में पानी के लिए हैंडपंपों पर निर्भर रहना पड़ता है, उसमें भी खारा पानी आता है. जिसकी वजह से पैसों से पानी खरीदना पड़ता है. उन्होंने बताया कि 4 से 5 साल यहां रहते हुए हो गए, लेकिन अभी तक यहां डाली गई पाइप लाइन में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. स्थानीय निवासी सोनी का कहना है कि कछपुरा में स्थित पानी की लाइन से उन्होंने कनेक्शन करवाया था, लेकिन करीब 2 से ढाई महीने बीत चुके हैं अभी तक घरों में पानी नहीं आया है और कनेक्शन के पैसे भी ले लिए गए हैं. अब आस-पड़ोस में स्थित सबमर्सिबल से पानी लेकर काम चलाना पड़ रहा है.

खारे पानी से बीमार हो रहे लोग
वार्ड संख्या 65 की पार्षद के पति अरविंद मथुरिया ने बताया कि 2010 में भीम नगरी के तहत पानी की पाइप लाइन बिछाने का काम हुआ था, लेकिन अभी तक उन पाइपलाइन में पानी नहीं छोड़ा गया है. यहां के लोग अधिकतर हैंडपंपों पर निर्भर हैं और क्षेत्र के हैंडपंप भी खराब पड़े हुए हैं. जो चल रहे हैं उनका पानी भी खारा हो चुका है. क्षेत्र में सीवर लाइन का कोई भी पता नहीं है. पानी के लिए अधिकतर लोगों ने सबमर्सिबल लगा रखा है. खारे पानी में फ्लोराइड ज्यादा होने की वजह से लोगों को बीमारियां भी हो रही हैं. सरकार से बार-बार मांग की है कि पानी की पाइप लाइन को चालू किया जाए, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं की जा रही है. जल निगम से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जलकल विभाग को यह क्षेत्र हैंडओवर कर दिया है, लेकिन जलकल विभाग भी जिम्मेदारी जल निगम पर डाल रहा है.

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