आगरा:ताजनगरी में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है. जिले में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 6678 पहुंच गया है, जबकि 136 कोरोना संक्रमित की मौत हो चुकी है. आगरा के लिए राहत की बात यह है कि जिले में क्योर रेट 90.78 है. अब तक 6112 कोरोना संक्रमित ठीक हो चुके हैं. मगर कोरोना से ठीक हुए लोग बुलावे और काउंसलिंग के बाद भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर रहे हैं. इससे अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीजों को प्लाज्मा नहीं चढ़ाया जा रहा है. एसएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. नीतू चौहान के मुताबिक अभी तक सिर्फ 86 डोनर ने प्लाज्मा डोनेट किया है.
जिले में अब तक 236743 लोगों की जांच में 6733 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. प्लाज्मा डोनर सत्यवीर सिंह ने बताया कि मेरा एक साथी भी कोरोना संक्रमित हुआ था. उसने प्लाज्मा डोनेट किया था. साथी ने मुझे प्लाज्मा डोनेशन के बारे में जानकारी दी. इसके बाद मैंने एसएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक में संपर्क किया, ताकि किसी मरीज को फायदा हो. चिकित्सकों ने मुझे प्लाज्मा डोनेशन के बारे में बताया. आज मैं प्लाज्मा डोनेट कर रहा हूं.
प्लाज्मा डोनर अर्जुन ने बताया कि मैं पांच बार प्लाज्मा डोनेट कर चुका हूं. पहली बार मुझे डर लग रहा था और प्लाज्मा डोनेट करने के बाद कमजोरी भी महसूस हुई थी. मगर, चिकित्सकों ने मुझे बताया कि प्लाज्मा डोनेट करने से कोई कमजोरी नहीं होगी. इसके बाद से अब मेरी आदत पड़ गई है. मुझे कोई कमजोरी नहीं हुई. चिकित्सकों के कहने पर अब में लगातार प्लाज्मा डोनेट कर रहा हूं. मेरी सभी कोरोना रिकवर लोगों से अपील है कि वे भी प्लाज्मा डोनेट करें. दूसरे संक्रमित लोगों की मदद करें.
प्लाज्मा डोनेट से नहीं घटती एंटीबॉडी
एसएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक की प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने बताया कि आगरा में प्लाज्मा डोनेशन को लेकर स्थिति बहुत चिंताजनक है. जिले में 6000 से ज्यादा कोरोना संक्रमित अब तक ठीक हो चुके हैं, लेकिन हमारे पास सिर्फ 86 डोनर ही प्लाज्मा डोनेट करने के लिए सामने आए हैं. प्लाज्मा डोनेट करने को लेकर कई बार एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने कोविड रिकवर लोगों से अपील की है कि वे अस्पतालों में भर्ती गंभीर कोविड मरीज की मदद को आगे आएं और प्लाज्मा डोनेट करें. कोविड रिकवर लोगों में यह डर है कि यदि वे प्लाज्मा डोनेट कर देंगे तो उनके शरीर में एंटीबॉडी का स्तर कम हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है.
एंटीबॉडी का स्तर अच्छा
हमारे यहां ऐसे प्लाज्मा डोनर हैं जो रिपीटेट प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं. हर बार उनके शरीर में एंटीबॉडी का स्तर बहुत अच्छा मिला है. कुछ लोग ऐसे भी हैं कि कोरोना से ठीक होने के 5 से 6 महीने बाद भी उनके शरीर में एंटीबॉडी का स्तर बहुत अच्छा है. जब भी कोई इन लोगों को प्लाज्मा डोनेट के लिए संपर्क करता है तो वे तैयार हो जाते हैं.
मॉडिरेट डिजीज में प्लाज्मा का बेहतर रिजल्ट
एसएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर प्रेम सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमितों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. माइल्ड डिसीज, मॉडिरेट डिसीज और सीवियर डिसीज. माइल्ड डिसीज पेशेंट को प्लाज्मा देने की जरूरत नहीं पड़ती है. मॉडिरेट डिसीज में पेशेंट को प्लाज्मा देना बहुत ही फायदेमंद होता है. ऐसे मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर होते हैं. सीवियर डिसीज में पेशेंट वेंटिलेटर पर हैं, जो वायपैप पर या मैकेनिकल वेंटिलेटर पर हैं उन पेशेंट को हमारे तमाम चिकित्सक प्लाज्मा दे रहे हैं. मगर अभी तक जो रिजल्ट आए हैं, उसमें साफ है कि सीवियर डिसीज में प्लाज्मा का बहुत फायदा नहीं है. मॉडिरेट डिजीज में ही प्लाज्मा का बेहतर रिजल्ट है.