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पैरा खिलाड़ी ने सरकार से लगाई मदद की गुहार, दो बार नेशनल में जीत चुकी पदक - agra para player

आगरा की निशा रावत यूपी की इकलौती पैरा खिलाड़ी खिलाड़ी हैं. इन्होंने नेशनल में पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स में 3 पदक जीते हैं. इनका सपना है कि अगर सरकार से मदद मिले तो वे देश के लिए मेडल जीतकर ला सकती हैं.

पैरा खिलाड़ी.
पैरा खिलाड़ी.

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Published : Sep 2, 2021, 10:19 AM IST

आगरा: पैराओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी अपना शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. पैराओलंपिक में अब तक भारत ने 10 पदक हासिल किए हैं. खिलाड़ी पैराओलंपिक में देश का मान बढ़ा रहे हैं. वहीं, भारत में ऐसे भी खिलाड़ी हैं जिन्हें मौका और आर्थिक सहायता मिले तो इन पदकों की संख्या और भी बढ़ सकती है, लेकिन सरकार से कोई सहायता न मिलने की वजह से और आर्थिक तंगी झेलने के कारण अधिकतर खिलाड़ी वहां तक नहीं पहुंच पाते. ऐसी ही यूपी की इकलौती महिला खिलाड़ी है जो गरीबी का दंश झेल रही है. इनके पैरों में जान नहीं, लेकिन उनके सपनों में जान है. वह भी पैराओलंपिक में खेलकर देश के लिए मेडल लाकर देश का नाम रोशन करना चाहती है.

आवल खेड़ा के महावतपुर एक छोटे से गांव की रहने वाली दिव्यांग निशा रावत ने आगरा का ही नहीं, बल्कि यूपी का भी नाम रोशन किया है. यूपी की इकलौती पैरा खिलाड़ी हैं, जिन्होंने नेशनल में पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स में 3 ब्रॉन्ज पदक जीते, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आज तक निशा को यूपी सरकार की तरफ से स्पोर्ट्स व्हीलचेयर तक नहीं मिली.

पैरा खिलाड़ी निशा रावत.

पैर के ऑपरेशन के दौरान महिला खिलाड़ी से मिली थी प्रेरणा

निशा बताती है कि वह बचपन से ही पैरों से नहीं चल सकती. बिना सहारे एक कदम नहीं बढ़ा पाती. उन्हें हमेशा अफसोस होता था कि बिना सहारे के एक कदम भी नहीं बढ़ा सकतीं. अपने पैरों को देखकर निशा हमेशा रोती थी और अफसोस करती थी कि काश वह भी कुछ करती. निशा भी औरों की तरह सपने देखती थी कि वह भी कुछ बने और कुछ करे. 2019 में निशा अपने पिता के साथ पैर का ऑपरेशन करवाने उदयपुर गई थी, जहां मध्यप्रदेश के भिंड की पैरा खिलाड़ी पूजा अहूजा से उसकी मुलाकात हुई. उन्होंने निशा को स्पोर्ट्स में आने के लिए कहा. पूजा की बात का निशा पर इतना असर हुआ कि उन्होंने पैर के ऑपरेशन के बाद घर आकर अपने पिता से जिद की कि वह भी गेम्स खेलेंगी और देश का नाम रोशन करेगी. पूजा से ही प्रेरणा लेते हुए पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स में हाथ आजमाया. इसके बाद निशा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

पैरा खिलाड़ी.

मजबूरी और लाचारी के आगे बार-बार रुक जाते हैं कदम

निशा बताती है कि उसके पिता पीआरडी में हैं. प्रतिदिन के हिसाब से उन्हें पैसा मिलता है. उनके पिता की 15000 रुपये महीने की तनख्वाह है. निशा के तीन भाई बहन और भी हैं. निशा की तैयारियों में ही 10000 रुपये खर्च हो जाते हैं और बाकी पैसों से घर का राशन-पानी चलता है. निशा को बुरा लगता है कि घर की एक तो आमदनी नहीं और सारा पैसा उसकी तैयारियों में खर्च हो जाता है. भाई-बहनों के लिए निशा निराश रहती है, जिस वजह से कई बार वह अपने कदम वापस खींच लेती है कि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी सही नहीं है.

एमपी जाकर करती है तैयारी, दो बार नेशनल में जीत चुकी पदक

निशा बताती हैं कि पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स में उन्होंने नेशनल में दो बार ब्राउंस मेडल जीते हैं. हमेशा तैयारियों के लिए उनको मध्य प्रदेश जाना पड़ता है, क्योंकि यूपी में कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स की तैयारियों के लिए कोई प्लेटफार्म ही नहीं है. निशा रावत इकलौती उत्तर प्रदेश की पैरा खिलाड़ी हैं, जो इस गेम को खेलती हैं.

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सरकार से मदद की लगाई गुहार

पैरा महिला खिलाड़ी निशा रावत ने बताया कि उनका सपना है कि वह पैरा ओलंपिक खेलें और देश के लिए मेडल जीतें. यूपी सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि यदि उन्हें आर्थिक सहायता मिलती है तो वह बहुत कुछ कर सकती हैं. निशा का कहना है कि 3 मेडल लाने के बावजूद उनको एक व्हीलचेयर भी नहीं मिली. यूपी सरकार से यह भी मांग की कि कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए भी स्टेडियम में व्यवस्था हो, जिससे उन्हें वॉटर स्पोर्ट्स की तैयारी के लिए बार-बार यूपी से एमपी जाना न पड़े.

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