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तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा की चौपाई पर उठाए सवाल, गिनायीं गलतियां

आगरा में पद्म विभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने श्री हनुमान चालीसा की चौपाइयों में गलती होने का बात कही है. उन्होंने श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिलाए जाने की भी बात कही.

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Published : Apr 5, 2023, 10:22 AM IST

पद्म विभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य

आगराःमंगलवार कोताजनगरी के कोठी मीना बाजार में श्रीराम कथा का आयोजन किया गया. यहां पद्म विभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने लोगों को रामकथा सुनायी. कथा के बाद मंगलवार को तुलसी पीठाधीश्वर ने श्रीहनुमान चालीसा की चौपाइयों में शाब्दिक त्रुटियों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा के कई चौपाइयों में त्रुटियां हैं. इन अशुद्धियों को ठीक कराया जाना चाहिए. उन्होंने रामचरितमानस की चौपाइयों में भी कई संशोधन किए हैं. बता दें कि बीते दिनों श्री रामचरितमानस की चौपाई को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवाल उठाए थे, जिस पर देशभर राजनीतिक मौहाल गरम हो गया था.

तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, 'हम जो श्रीहनुमान चालीसा पढ़ते हैं. उसमें त्रुटियां हैं. हम शंकर सुमन केसरी नंदन पढ़ते हैं. इसमें त्रुटि हैं. इसकी जगह शंकर स्वयं केसरी नंदन होना चाहिए. क्योंकि, हनुमान जी शंकर जी के पुत्र नहीं हैं. बल्कि, स्वंय ही उनका एक रूप हैं. इसी तरह से श्रीहनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई में लिखा है कि सब पर राम तपस्वी राजा है. इसमें भी तपस्वी की जगह पर सही शब्द सब पर रामराज सिर ताजा होना चाहिए. इसके साथ ही 32वीं चौपाई में राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघपति के दासा है. इसमें भी त्रुटि है. यहां राम रसायन तुम्हरे पासा, सादर हो रघुपति के दासा होना चाहिए.

कोठी मीना बाजार में श्रीराम कथा सुनते लोग

तुलसी पीठाधीश्वर ने श्रीहनुमान चालीसा की 38 वीं चौपाई में भी त्रुटि बताई. उन्होंने कहा कि इसमें जो सतबार पाठ कर कोई लिखा है. उसकी जगह सही शब्द है यह सतबार पाठ कर जोही. यह शाब्दिक त्रुटियां ठीक होनी चाहिए. वहीं, तुलसी पीठाधीश्वर ने श्रीराम कथा के दूसरे दिन कहा कि विवेक प्राप्त करना है, तो संतों के चरणों में बैठने का अभ्यास करिए. बिना सत्संग के विवेक प्राप्त नहीं होता. संतों के संग से ही विवेक मिलता है. बिना हरि की कृपा के संत नहीं मिलते हैं. एक तो संत बुलाकर मिलते हैं और एक संत आकर मिलते हैं.

मीडिया से तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने श्रीरामचरित मानस को हर समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि हमारा प्रयास है. श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया जाए. जल्द ही सभी सांसद लिखकर विशेष प्रस्ताव पारित कराएंगे. इससे अखंड भारत की संकल्पना जल्द सिद्ध होगी.

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