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पुण्यतिथि विशेष: विकास की बाट जोह रहा 'अटलजी का बटेश्वर'

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Published : Aug 15, 2020, 11:55 PM IST

Updated : Aug 16, 2020, 2:26 AM IST

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांव बटेश्वर से भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तमाम यादें जुड़ी हैं. सरकार ने गांव के विकास के तमाम वादे किए थे, लेकिन अभी भी बटेश्वर विकास की राह देख रहा है. अटलजी की दूसरी पुण्यतिथि पर बटेश्वर से खास रिपोर्ट...

atal bihari vajpayee
अटल बिहारी वाजपेयी

आगरा: 'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटता हूं, गीत नया गाता हूं'. अटलजी के इरादों की इन पंक्तियों का बटेश्वर से गहरा नाता है. बटेश्वर से भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तमाम यादें जुड़ी हैं. फिर चाहे वह बचपन की उछलकूद हो या दोस्तों संग हंसी-ठिठोली. यही नहीं आजादी की लड़ाई में अटलजी का शामिल होना भी बटेश्वर से जुड़ा है. हालांकि आज भी बटेश्वर विकास की राह देख रहा है.

केंद्र और राज्य की सत्ताधारी पार्टी के संस्थापकों में शामिल अटलजी का गांव अभी भी विकास की राह देख रहा है. आज अटलजी की द्वितीय पुण्यतिथि है. अटलजी के निधन के बाद खुद सीएम योगी ने बटेश्वर के विकास का खाका तैयार किया था. विकास का वादा भी हुआ, 10 करोड़ का बजट भी घोषित हुआ. दो साल बीत गए लेकिन अटलजी के गांव में विकास की नींव भी नहीं रखी गई. अटलजी की खंडहर पैतृक हवेली पर कंटीले बबूल की झाड़ियां खड़ी हैं. सरकार के वादे खोखले साबित हो रहे हैं.

बटेश्वर धाम.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने पैतृक गांव बटेश्वर अप्रैल-1999 में आखिरी बार आए थे. उन्होंने रेलवे लाइन का शिलान्यास और पर्यटक कॉन्प्लेक्स का लोकार्पण किया था. इसके बाद फिर अटलजी का अपने पैतृक गांव बटेश्वर आना नहीं हुआ था. व्यवहार और भाषा से विपक्षियों को भी मित्र बनाने वाले अटलजी भाजपा में बेगाने हो गए हैं. बीजेपी के कई बड़े नेता मंच पर तो अटलजी को याद करते हैं लेकिन अभी भी अटलजी का पैतृक गांव विकास की राह देख रहा है.

बटेश्वर में 'भदावर की काशी'
राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी के बटेश्वर गांव के वैभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बटेश्वर सब तीर्थों का भांजा है. इसे 'भदावर की काशी' भी कहते हैं. भदावर के महाराजाओं ने यमुना किनारे यहां पर 108 शिवालयों की श्रंखला बनवाई थी. यहां पर यमुना भी उल्टी धारा में बहती हैं. बटेश्वर धाम पर देसी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं. हर सोमवार को बटेश्वर में बड़ा मेला लगता है. यहां भक्त भगवान शिव की आराधना करने आते हैं. यमुना में स्नान करके भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.

अटलजी की दूसरी पुण्यतिथि आज.

अटलजी के नाम पर यह होने थे काम

  • अटलजी का संग्रहालय.
  • अटलजी के पैतृक आवास का विकास.
  • अटलजी के स्मारक का निर्माण.
  • अटलजी के नाम पर महाविद्यालय का निर्माण.
  • अटलजी जहां पढ़े उस प्राथमिक स्कूल का स्वरूप बदलना.
  • रेलवे हाल्ट को अटलजी के नाम पर स्टेशन बनाना.
  • जंगलात की कोठी को उसके मूल स्वरूप में सहेजना.
  • बटेश्वर में ऑडियो और विजुअल शो की शुरुआत कराना.
अटलजी का पैतृक आवास.

यूं चमकाना था बटेश्वर

  • पूरे बटेश्वर का सौंदर्यीकरण करना.
  • बटेश्वर में पार्कों का विकास करना.
  • पर्यटकों के रात्रि विश्राम के लिए विश्रामशाला.
  • 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला का जीर्णोद्धार.
  • वाजपेयी यज्ञशाला का जीर्णोद्धार करना.
  • जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ के शौरीपुर में विकास कार्य.
  • बटेश्वर के 66 मंदिरों का पुनर्निर्माण होना था.
  • प्रसिद्ध पशु मेले को राज्य स्तर का दर्जा देना.
  • राजस्थान के पुष्कर पशु मेले की तरह पशु हाट का प्रचार प्रसार करना.

'खोखले हैं वादे'
अटलजी के भतीजे मुकेश कुमार वाजपेयी कहते हैं कि सरकार के सभी वादे खोखले हैं. अटलजी के निधन के बाद सीएम योगी आए थे. इसके बाद तमाम अधिकारी और नेता यहां पर आए थे. वादा किया था कि अटलजी की पैतृक हवेली को संरक्षित किया जाएगा. इंटर कॉलेज बनाया जाएगा. पैतृक हवेली की नाप जोख भी की गई, लेकिन हकीकत में हवेली तक आने का रास्ता पक्का कर दिया और कुछ नहीं किया गया है.

'नींव की ईंट भी नहीं रखी गई'
अटलजी के रिश्तेदार मंगलाचरण शुक्ला का कहना है कि अटलजी के निधन के बाद सीएम योगी उनकी अस्थियां विसर्जन करने बटेश्वर आए थे. लेकिन अटलजी के पैतृक आवास को देखने के लिए भी नहीं आए. पहली पुण्यतिथि पर एमएलए, एमपी और अन्य जनप्रतिनिधि आए तो कहकर गए थे कि अटलजी के पैतृक आवास जहां पर अभी बबूल खड़े हुए हैं. वहां ज्यादा नहीं तो एक कमरा तो बन जाएगा. लेकिन यहां नींव की एक ईंट तक भी नहीं रखी गई है.

Last Updated : Aug 16, 2020, 2:26 AM IST

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