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यमुना निर्मल करने का बना प्लान, 1174 करोड़ का बजट मिला, ...मगर धरातल पर सब शून्य

यूपी के आगरा में यमुना नदी में साफ-स्वच्छ पानी बहता रहे इसके लिए नमामि गंगे के तहत 2018 में प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई. इसके लिए 1174 करोड़ का बजट मिला. शिलान्यास भी हुआ, लेकिन 11 महीने बाद भी यमुना के जहरीले पानी को स्वच्छ करने का काम शुरू नहीं हुआ है.

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यमुना को स्वच्छ करने का काम नहीं हुआ शुरू.

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Published : Dec 10, 2019, 8:42 AM IST

आगरा:ताजनगरी में कालिंदी नदी में साफ और स्वच्छ पानी बहता रहे, यमुना का पानी शुद्ध, अविरल और निर्मल हो. ताजमहल की नींव तक नदी का पानी पहुंचे, यमुना प्रदूषण मुक्त हो, इसी मंशा से 11 माह पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. दम तोड़ रही यमुना नदी को ऑक्सीजन देने के लिए 857 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया.

यमुना को स्वच्छ करने का काम नहीं हुआ शुरू.


फिर 317 करोड़ रुपये के दूसरे प्रोजेक्ट की घोषणा हुई. दोनों प्रोजेक्ट के टेंडर हुए. मगर हकीकत में शिलान्यास के 11 माह बाद भी यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरे हैं. ताजनगरी में यमुना निर्मल करने का प्लान डुप्लीकेसी में फंस गया है. अफसरों की लापरवाही से यमुना और जहरीली होती जा रही है.


दिसंबर 2020 तक होना है काम पूरा
जल निगम की ओर से दिसंबर 2018 में 857 करोड़ रुपये का यमुना की साफ-सफाई और गंदे नाले के पानी रोकने का प्रोजेक्ट बना. जनवरी 2019 में जल निगम ने एक और प्लान तैयार किया. यह प्लान था आगरा में मौजूद सभी एसटीपी के रखरखाव, सीवेज पंपिंग स्टेशन का रखरखाव, बिजली बिल समेत अन्य तमाम काम 317 करोड़ रुपये में करने थे. इसका शिलान्यास भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया. उस समय घोषणा की गई थी कि दिसंबर 2020 तक काम पूरा होगा. इस योजना से यमुना निर्मल होगी. एक भी गंदे नाले का पानी यमुना में नहीं गिरेगा.

2018 में 857 करोड़ रुपये के काम.


फंस गया वर्क आर्डर
यमुना को निर्मल करने के लिए जो दो प्रोजेक्ट की डीपीआर बनी, दोनों के लिए नमामि गंगे के तहत केंद्र सरकार से बजट की घोषणा की गई. इसके लिए टेंडर भी निकाले गए, लेकिन प्रदेश सरकार ने हाल में सात एसटीपी का 10 साल तक रखरखाव और सीवरेज पंपिंग स्टेशन सेट का कार्य आर्डर कर दिया. इस वजह से नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत आगरा में शुरू होने वाले दोनों ही प्रोजेक्ट में पेच फंस गया है. यही वजह है कि अभी तक काम की शुरुआत भी नहीं हुई है.

2018 में यहां बनने थे एसटीपी.


डी-सिल्टिंग से खुद टेप हो जाएंगे शहर के नाले
ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसाइटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि यमुना में बहुत सिल्ट जमा हो गई है. इसलिए डी-सिल्टिंग होनी चाहिए. यमुना में भू-जल का स्तर बढ़ाने वाले पोर्च बंद हो गए हैं. कैलाश घाट से दशहरा घाट तक डी-सिल्टिंग की जानी चाहिए. डी-सिल्टिंग से यमुना में दोनों किनारे पर एक नाले बन जाएंगे. इससे शहर के यमुना में गिरने वाले नाले टेप होंगे. इससे जहां यमुना का पानी साफ रहेगा, वहीं आगरा का भू-जल स्तर भी बढ़ेगा. प्रदूषित पानी ताजमहल की नींव में नहीं जाएगा.

2019 में 317 करोड़ रुपये के काम.


61 नाले किए जाएंगे टेप, बनाया गया स्टीमेट
जल निगम के मुख्य अभियंता बीके गर्ग ने बताया कि यमुना की सफाई और गंदे नाले के लिए नमामि गंगे प्लान के तहत प्रोजेक्ट बनाया गया था. शहर के 29 नाले पहले टेप किए गए हैं. मगर उनका डिस्चार्ज सड़ गया है. वह भी ओवर फ्लो हो जाते हैं. अभी 61 नाले सीधे यमुना में गिरते हैं. सभी नालों के डिस्चार्ज की ट्रीट किया जाएगा. इसके लिए तीन एसटीपी और डी-सेंट्रलाइज एसटीपी बनाने के साथ ही अन्य काम होने हैं.

हाल में आगरा में एसटीपी

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