आगरा:कोरोना महामारी और डेढ़ माह के लॉकडाउन ने देश के मजदूरों की जिंदगी ही बदल दी है. लॉकडाउन से रोजगार छिन गया. जो कमाया था, वो खर्च हो गया. मकान मालिक किराया मांग रहे हैं. बेघर हुए तो अपनों की याद और ज्यादा सताने लगी. अब सिर पर गृहस्थी का सामान और गोद में मासूम बच्चों को लेकर मजदूर पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव को बेबसी के सफर पर निकल पड़े हैं. ईटीवी भारत ने बुधवार को आगरा की सड़कों पर पैदल, साइकिल, बाइक और ट्रकों से जा रहे प्रवासी मजदूरों से बात की तो उनका दर्द छलक उठा.
लॉकडाउन के बाद से ही प्रवासी मजदूर अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े हैं. कोई हाईवे से तो कोई रेलवे लाइन के किनारे-किनारे जा रहा है. यह नजारा हर दिन देखा जा सकता है. सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के लिए स्पेशल ट्रेन और रोडवेज बसों का इंतजाम किया, जिससे वे घर तक पहुंच सके, लेकिन सड़कों पर पैदल, साइकिल सवार, बाइक सवार और ट्रकों में श्रमिकों को खूब देखा जा सकता है.
'पैदल चले, फिर ट्रक से आए आगरा'
एमपी के पन्ना निवासी रामगोपी ने बताया कि, 'नोएडा में परिवार के साथ मजदूरी करता था. मंगलवार से परिवार के साथ पैदल निकला हूं. फिर रास्ते में ट्रक मिल गया. काम लग नहीं रहा था. खाने के लिए पैसे नहीं थे और खाना भी नहीं मिलता था. इसलिए घर जाने के लिए निकल पड़े हैं.
एमपी के सागर निवासी सुलोचना ने बताया कि, 'परिवार के साथ गुड़गांव से आ रही हूं. वहां काम करने गए थे, पहले काम अच्छा चल रहा था. लॉकडाउन लग गया. इसके बाद काम नहीं लगा. जो रुपये थे, वे खर्च हो गए. वहां खाने के लाले थे. इसलिए घर जाने के लिए निकल पड़े हैं.'