छत्रपति शिवाजी के स्मृति दिवस पर गरुणक्षेप मुहिम का शुभारंभ, मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने दी जानकारी आगरा: वीर छत्रपति शिवाजी के स्मृति दिवस पर उनकी प्रतिमा से गुरुवार को गरुणक्षेप मुहिम की शुरुआत हुई. जिसका उद्घाटन कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने युद्ध कौशल के हथियारों का पूजन कर किया. 17 अगस्त 1666 को वीर शिवाजी औरंगजेब की कैद से भाग गए थे. आगरा मराठा शासक वीर छत्रपति शिवाजी की पराक्रम भूमि रही हैं. 17 अगस्त 1666 को शिवाजी महाराज अपनी युद्ध क्षमता के दम पर औरंगजेब की कैद से बच निकले थे. इस दिन को शिवजी महाराज के वंशज स्मृति दिवस के रूप में मनाते हैं. इसी क्रम में गुरुवार को के वंशजों ने आगरा किला के सामने मौजूद छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
कार्यक्रम में यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय मौजूद रहे. मंच पर उनके साथ प्रान्त प्रचारक हरीश रौतेला भी मौजूद रहे. मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि आगरा से शिवाजी महाराज का इतिहास जुड़ा हुआ है. इतिहास में आज के दिन वीर शिवाजी ने दुनिया की सबसे बड़ी ताकत औरंगजेब की कैद से निकल कर उसके मुंह पर तमाचा मारा था. औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को धोखे से आगरा किले के अंदर नजरबंद कर लिया था. 99 दिन कैद में रहने के बाद भी शिवाजी महाराज की युद्ध कला, कुशलता में कोई कमी नहीं आई. आज हम और उनके वंशज मिलकर छत्रपति शिवाजी का स्मरण कर रहे हैं.
आगरा किला से आज उनके सेनापतियों के वंशजों ने गरुणक्षेप मुहिम यात्रा का शुभारंभ किया है. जिसके तहत यह यात्रा आगरा से सिंहगढ़ (महाराष्ट्र) तकरीबन 1250 किलोमीटर का सफर तय करेगी.औरंगजेब की कैद से निकलने के बाद छत्रपति शिवाजी ने सेवला जाट स्थित मलूक चंद्र नामक स्थान पर रात्रि विश्राम किया था. ऐसे कई ओर तथ्य आगरा में मौजूद हैं, जो वीर शिवाजी के पराक्रम के गवाह रहे है. गरुणक्षेप मुहिम के अध्यक्ष मारुति गोले ने बताया कि यह यात्रा 13 दिन में समाप्त होगी. इस यात्रा में 1000 धावक और 100 साईकल सवार मशाल जुलूस लेकर यात्रा का नेतृत्व करेंगे. जिसमे कलाकार युद्ध कौशल कला भी दिखाएंगे. सराय मलूक चंद्र गांव में महाराष्ट्र से लाई गई शिवाजी की प्रतिमा स्थापित कर उसे भविष्य में विकसित किया जाएगा.
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इस कार्यक्रम में केबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का स्टेज पर वीआईपी कल्चर देखने को मिला. सभी लोग जहां तेज तपती धूप में अपने पराक्रमी योद्धा को याद कर रहे थें. तो वहीं मंत्री योगेंद्र उपाध्याय छाते के नीचे छत्रपति शिवाजी की तरह उसी रुआब में नजर आए. लेकिन, मंत्री जी को जब एहसास हुआ कि अन्य लोग धूप में बैठे हैं. तब उन्होंने अपने अंगरक्षक को छाता हटाने का निर्देश दिया. मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ज्यादातर चर्चाओं में रहते हैं. इससे पूर्व माईथान में एक बिल्डर की लापरवाही के कारण मकान दरकने से एक मासूम बच्ची की मौत हो गयी थीं. तब मंत्री योगेंद्र उपाध्याय बच्ची के परिवार को सांत्वना और मुआवजे का चेक देने पहुंचे थे. लेकिन, बच्ची के परिजनों का विरोध देखकर मंत्री जी का पारा चढ़ गया. तल्ख लहजे में मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने परिवार को धमकाते हुए कहा था कि 'चेक लेना हैं या नही' उन शब्दों से मृत बेटी के परिवार का दिल बड़ा आहत हुआ था. जब मंत्री जी का यह अंदाज खबरों की सुर्खियां बना तो मंत्री जी बैकफुट पर आ गए. लेकिन, आज केबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का छत्रपति शिवाजी जैसे टशन की चर्चा चारो ओर हैं.
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