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शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को विदाई देने आए उनके दोस्त, बोले- विश्वास नहीं हो रहा

तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में आगरा के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को अंतिम विदाई देने भोपाल और अन्य जगह से उनके सैनिक स्कूल के दोस्त भी पहुंचे. उन्होंने कहा कि विश्वास नहीं हो रहा है कि जिंदादिल दोस्त उनके बीच नहीं है.

पृथ्वी सिंह चौहान के दोस्त.
पृथ्वी सिंह चौहान के दोस्त.

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Published : Dec 11, 2021, 1:16 PM IST

आगरा:तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में आगरा के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को अंतिम विदाई देने के लिए भोपाल और अन्य जगह से उनके सैनिक स्कूल के दोस्त भी पहुंचे हैं. हर दोस्त की आंख नाम है. उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा है कि जिंदादिल दोस्त उनके बीच नहीं है. शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान देश के 20 सबसे बेहतरीन पायलट में शामिल थे, जो आज हमारे बीच नहीं है.

दोस्तों का कहना है कि लगातार वाट्सएप ग्रुप पर शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान से बातचीत होती थी. हमें हादसे के समय ही हमारे अन्य साथी जो एयरपोर्ट में है उनसे पता चल गया था. हमने शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान से मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया था, लेकिन बात नहीं हो पाई थी.

पृथ्वी सिंह चौहान के दोस्त.

फिर शाम को जब उसके शहीद होने की खबर मिली तो हमें एक बार को विश्वास ही नहीं हुआ. आर्मी स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही जिस तरह से उसका ऐम एयरफोर्स में जाने के लिए पक्का था, वैसे ही हमारी दोस्ती भी पक्की थी. तमाम ऐसे मौके आते थे जब हम सब साथ-साथ होते थे. खूब अपनी फ्यूचर प्लानिंग के साथ ही एक-दूसरे को मोटिवेट भी करते थे.

भोपाल से आए नितिन खरे ने बताया कि हम सैनिक स्कूल में शहीद हुए कमांडर पृथ्वीराज पृथ्वी सिंह चौहान के साथ पढ़े थे. हादसे के समय ही पता चल गया था पृथ्वी सिंह चौहान कहां पर फ्लाई कर रहे हैं. बाद में पता चला कि हमारा दोस्त नहीं रहा. बड़ा अफसोस है कि जो दोस्त हमारा देश के बीच बेहतरीन पायलटों में शामिल था वह एक हादसे का शिकार हो गया. भोपाल से आए दोस्त हर्षित ने बताया कि भले ही हम बचपन के दोस्त थे, लेकिन अभी तक हमारी दोस्ती कायम थी. दोस्त पृथ्वी सिंह हमेशा दूसरों को मोटिवेट करता था और खुद भी मोटिवेट रहता था.

भोपाल से आए दोस्त हेमंत कुमार ने बताया कि वह सरकारी विभाग में नौकरी करता है. दोस्त के बारे में बुधवार को ही हमें पता चल गया था. लगातार हम परिवार के संपर्क में थे. दोस्त भी एक-दूसरे से लगातार विंग कमांडर पृथ्वी सिंह को लेकर बातचीत कर रहे थे. सैनिक स्कूल के दिनों में ही वह फौज में जाने के लिए बातें करता रहता था.

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सैनिक स्कूल के बाद ही उसका एनडीए में सलेक्शन हो गया था. लगातार हम लोग संपर्क में थे. जब भी मिलते थे तो खूब अपनी भविष्य की प्लानिंग को लेकर बातचीत करते थे. विंग कमांडर पृथ्वी सिंह की उम्र बहुत कम थी, लेकिन उससे पहले ही उसे यह पोस्ट मिल गई थी. रिटायरमेंट तक बड़ी पोस्ट तक जाता था. मगर इस हादसे ने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज यारों का यार हमारे बीच नहीं रहा.

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