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नशे की लत और तलब को घटाएगी ये खास मशीन, पढ़िए खास रिपोर्ट

आगरा में नशे की लत और तलब को घटाने के लिए खास मशीन आई है. दावा किया जा रहा है कि इस मशीन से मरीजों को काफी लाभ पहुंचेगा. चलिए आगे विस्तार से जानते हैं इसके बारे में.

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Published : Apr 7, 2023, 6:29 PM IST

आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) में नशे की लत और तलब का इलाज अत्याधुनिक मशीन से किया जाएगा. एसएनएमसी के मनोरोग चिकित्सा विभाग में रिपटेटिव ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (आरटीएमएस) मशीन आई है. इससे तंबाकू, धूम्रपान, शराब समेत अन्य नशा करने वाले मरीजों का उपचार किया जाएगा. आरटीएमएस मशीन के मैग्नेटिक फील्ड से नशे के आदी व्यक्ति के मस्तिष्क के रिवाॅर्ड सर्किट का उपचार होगा जिससे मरीज की नशे करने की तलब कम होगी. एसएनएमसी के मनोरोग चिकित्सा विभाग में इस मशीन से अप्रैल के अंत में उपचार शुरू हो जाएगा.

प्रोफेसर डॉ. विशाल सिन्हा ने दी यह जानकारी.

एसएनएमसी की ओर से खरीदी गई आरटीएमएस मशीन की कीमत करीब 50 लाख रुपए है. एसएनएमसी के मनोरोग चिकित्सा विभाग के एचओडी प्रोफेसर डाॅ. विशाल सिन्हा ने बताया कि यह मशीन यूपी में कम सेंटर पर है. यह केजीएमयू और बनारस में है. आगरा और आसपास के मरीजों को इस मशीन से उपचार कराने के लिए दिल्ली, लखनऊ और जयपुर जाना पड़ता था. अब एसएनएमसी में अत्याधनिक आरटीएमएस मशीन खरीदी गई है. इससे आगरा और आसपास के नशे के आदी मरीजों को दूसरे शहरों में नहीं जाना होगा. उनका यहां पर ही कम दर पर उपचार हो जाएगा.


मनोरोग चिकित्सा विभाग के एचओडी प्रोफेसर डाॅ. विशाल सिन्हा ने बताया कि जब कोई व्यक्ति नशा लेने लगता है तो उसके मस्तिष्क सर्किट में बदलाव होने लगता है. यह इम्पल्स के आधार पर काम करते हैं इसलिए बार-बार व्यक्ति में नशा करने की इच्छा प्रबल हो जाती है. इसे आम भाषा में नशे की तलब लगना है. देखा जाए तो बाजारों में जो दवाएं हैं वे नशे की लत और तलब को कम करने का प्रयास करती हैं मगर, कुछ ऐसे मरीज होते हैं जिनमें नशे की इच्छा बहुत प्रबल होती हैं. उनका नशा छोडना बहुत मुश्किल होता है. आरटीएमएस मशीन का रोल ऐसे मरीजों की नशे की तलब कम करने में अहम होता है.

मनोरोग चिकित्सा विभाग के एचओडी प्रोफेसर डाॅ. विशाल सिन्हा ने बताया कि दिमाग के जो हिस्से, जिन्हें हम रिवाॅर्ड शर्किट बोलते हैं उन हिस्सों को आरटीएमएस मशीन से उत्पन्न मैग्नेटिक फील्ड से स्टिमुलेट करने की कोशिश करते हैं. इससे नशा लेने की बार-बार की तलब को कम होती है. आरटीएमएस मशीन में विभिन्न सेंटिंग (सेशन) हैं. इससे अलग-अलग तरह के नशा करने वाले मरीज और उनकी नशा करने की तलब से दिमाग के इस हिस्से में रिवाॅर्ड सर्किट ज्यादा काम कर रहा या कम कार्य कर रहा है उसे दबाने और उत्तेजित करने का काम विभिन्न मैग्नेटिक फील्ड से करते हैं. इसकी कई सेटिंग होती हैं. आरटीएमएस मशीन से नशे के रोगी का उपचार करने से उसके दिमाग के न्यूरो सर्किट में बदलाव देखने को मिलता है. इससे उसके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है.

न्यूरो सर्किट में बदलाव पर दवाएं बंद
मनोरोग चिकित्सा विभाग के एचओडी प्रोफेसर डाॅ. विशाल सिन्हा का दावा है कि आरटीएमएस मशीन से नशे के आदी मरीज का उपचार करते समय शुरुआत में उसे दवा भी दी जाएंगी क्योंकि, आरटीएमएस मशीन से उपचार का असर देरी से आता है. इसके कई सेशन होते हैं. कुछ मरीजों को पांच सेशन तो कुछ मरीजों को 10 से 15 सेशन देने होते हैं इसलिए, मरीजों की बीमारी के हिसाब से सेशन और दवाएं तय होती है. जैसे जैसे मैग्नेटिक फील्ड से मरीज के दिमाग के न्यूरो सर्किट में बदलाव होगा वैसे-वैसे मरीज की दवाएं बंद कर दी जाती हैं.

मनोरोग चिकित्सा विभाग के एचओडी प्रोफेसर डाॅ. विशाल सिन्हा बताते हैं कि आरटीएमएस मशीन कीमती है इसलिए, इसका उपचार भी महंगा है. अच्छे निजी संस्थान में आरटीएमएस मशीन के एक सेशन की फीस 10,000 रुपए होती है. यदि मरीज को 10 और 15 सेशन लगे तो उसे एक से डेढ लाख रुपए खर्च करने होंगे मगर, एसएन मेडिकल काॅलेज में इस मशीन से उपचार की फीस कम रहेगी. मशीन से उपचार के बारे में अभी फैसला लिया जाना है.


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