जानकारी देते हुए स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट डॉ. रजत कपूर आगरा:हादसा या स्पोर्ट्स एक्टविटी करते समय घुटने में लगी चोट अधिकतर खतरनाक साबित होती है. जिसे नजर अंदाज करके जो लोग घुटने पर बाम और गरम पट्टी बांधकर उपचार करते हैं. उनके लिए बुरी खबर है. एसएन मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग की तीन साल के रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. किसी हादसे या स्पोर्ट्स एक्टिविटी में लगी घुटने की चोट के उपचार में बरती लापरवाही से लिगामेंट सर्जरी करनी पड़ रही है. तीन साल में एसएन मेडिकल कॉलेज में स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट की टीम ने 300 लिगामेंट सर्जरी की हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसएनएमसी के अस्थि रोग विभाग के सहायक आचार्य और स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट डॉ. रजत कपूर ने बताया कि, घुटने में लगी चोट से लिगामेंट डैमेज हो जाते हैं, जो दर्द का कारण और घुटना खराब भी कर सकते हैं. इसलिए, घुटने में चोट लगने पर कोई फेक्चर नहीं है. फिर भी घुटने में दर्द है. पैर चलने, दौड़ने या अन्य एक्टविटी में लचक मार रहा है तो एमआरआई जरूर कराएं.
डॉ. रजत कपूर ने बताया कि एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) के अस्थि रोग विभाग ने ओपीडी और ट्रॉमा सेंटर में घुटने के दर्द की शिकायत लेकर आने वाले मरीज पर रिसर्च किया है. रिसर्च के मुताबिक, तीन साल में 1260 मरीज घुटने में दर्द की शिकायत लेकर आए. जिनके घुटने में खेलते, चलते, फिसलने या एक्सीडेंट में चोट लगी थी. अधिकतर मरीजों के घुटने में फेक्चर नहीं हुआ था. चार से दस माह बाद भी घुटने का दर्द बंद नहीं हुआ. जबकि, घुटने पर खूब बाम लगाया और गरम पट्टी भी बांधी. जब एमआरआई कराने पर सामने आया कि, 300 मरीजों के घुटने में चोट लगने से लिगामेंट खराब मिले. जिसकी वजह से ऐसे मरीजों की लिगामेंट सर्जरी करनी पड़ी. ज्यादातर लिगामेंट सर्जरी खिलाड़ियों की करनी पड़ी थी.
300 लिगामेंट सर्जरी करनी पड़ी
हड्डी रोग विशेषज्ञ व स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट डॉ. रजत कपूर ने बताया कि, एसएनएमसी में आए 300 मरीजों के घुटने की लिगामेंट सर्जरी करनी पड़ी है. इनमें अधिकतर खिलाड़ी हैं. जो, बास्केटबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस, टेबल टेनिस, कबड्डी और एथलीट हैं. जिनकी एक्सरसाइज या स्पोर्ट्स एक्टविटी में घुटना मुड़ (ट्विस्ट) गया. घुटने के बल गिर गए. जिससे घुटने का दर्द बंद नहीं हुआ. जबकि, घुटने में कोई फेक्चर नहीं हुआ था. घुटने पर खिलाड़ियों ने खूब बाम लगाया और गरम पट्टी भी बांधी थी. जब उनके घुटने की एमआरआई कराई तो पता चला कि, घुटना ट्विस्ट होने से लिगामेंट डैमेज हो गया है. इसलिए, लिगामेंट सर्जरी करनी पड़ी.
घुटना लचक मारे तो हो जाएं सतर्क
हड्डी रोग विशेषज्ञ व स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट डॉ. रजत कपूर ने बताया कि, घुटने में हाई वेलोसिटी इंजरी और लो वेलोसिटी इंजरी होती है. हाई वेलोसिटी इंजरी की वजह एक्सीडेंट और लो वेलोसिटी इंजरी की वजह खेल के दौरान घुटना ट्विस्ट होना या गिरने या फिसलना होता है. अक्सर करके घुटने में चोट लगने पर फेक्चर न होने पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. इसलिए, जब दोबारा से व्यक्ति कोई काम करता है या स्पोर्टसमैन एक्टविटी करता है तो पैर लचक मारता है. स्पोर्ट्स एक्टिविटी में परेशानी हुई तो दूसरे पैर पर ज्यादा जोर डालते हैं. इसलिए, आगे परेशानी बढ़ सकती है. ऐसी स्थिति में मरीज आए. जब एमआरआई कराई तो लिगामेंट खराब मिला. इस पर लिगामेंट सर्जरी करानी पड़ी. गनीमत यह रही कि, एसएन मेडिकल कॉलेज में फ्री में लिगामेंट सर्जरी हो गई. इस सर्जरी का निजी हॉस्पिटल में हजारों रुपए का खर्चा आता है.
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