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आगरा: NSUI राष्ट्रीय अध्यक्ष को जेल प्रशासन ने छात्र नेताओं से मिलने से रोका, लगे मुर्दाबाद के नारे

उत्तर प्रदेश के आगरा में डिप्टी सीएम के काफिले को काले झंडे दिखाने के प्रकरण में पुलिस ने 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था. जेल में बंद छात्रनेता से मिलने रविवार को एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेल पहुंचे ,लेकिन जेल प्रशासन ने उनको मिलने नहीं दिया.

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Published : Oct 13, 2019, 6:24 PM IST

जेल प्रशासन ने NSUI राष्ट्रीय अध्यक्ष को जेल में बंद छात्र नेताओं से नहीं मिलने दिया.

आगरा: जिले के डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के 85वें दीक्षान्त समारोह में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल 11 अक्टूबर को शिरकत करने पहुंचे थे. इस दौरान उनके काफिले को एनएसयूआई छात्रनेता ने काले झंडे दिखाकर विरोध जताया था. इस पर एनएसयूआई के 9 छात्र नेताओं को मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया था. जेल में बंद छात्र नेता से मिलने रविवार को एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन कार्यकर्ताओं संग जेल पहुंचे.

जेल प्रशासन ने NSUI राष्ट्रीय अध्यक्ष को जेल में बंद छात्र नेताओं से नहीं मिलने दिया.

जेल प्रशासन ने बंदी की पहले ही अन्य लोगों से मुलाकात हो जाने की बात कहकर नियमों का हवाला देते हुए उन्हें जेल गेट से ही वापस कर दिया. इसके बाद एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने जेल गेट पर ही जेल प्रशासन और जेलर के मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिया. इस दौरान उन्होंने सीएम योगी के ऊपर जानबूझकर मुलाकात रोकने का आरोप लगाया.

9 छात्र नेताओं को को किया गया था नामजद

  • काफिले को काले झंडे दिखाने के आरोप में थाना हरीपर्वत में कुल 9 छात्र नेताओं को गंभीर धाराओं में नामजद किया गया था.
  • इस मामले में अपनी हार छुपाने की मंशा से प्रशासन ने अज्ञात पत्रकारों पर भी मुकदमा दर्ज किया था.
  • इसकेमामले के एनएसयूआई छात्रनेता गौरव शर्मा को गिरफ्तार कर शनिवार जेल भेज दिया गया था.
  • गौरव को न्यायालय में भेजते समय उसको हथकड़ी लगाई गई थी.

इसे भी पढ़ें- आगरा: दीक्षान्त समारोह में अतिथियों को काले झंडे दिखाने वाले 9 छात्र नेताओं पर मुकदमा दर्ज

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जेल प्रशासन पर सत्ता दबाव का लगाया आरोप
रविवार को एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन गौरव से मिलने के लिए कांग्रेस नेता शबाना खंडेलवाल और तमाम कार्यकर्ताओं के साथ नारेबाजी करते हुए जिला जेल पहुंचे. यहां उन्हें जेल गेट पर ही रोक दिया गया और बंदी की पहले ही किसी अन्य से मुलाकात हो जाने की बात कहते हुए नियमों का हवाला देते हुए उन्हें वापस कर दिया गया. इसके बाद कार्यकर्ताओं वहीं जेल गेट पर ही जेल प्रशासन और जेलर पर सत्ता के दबाव का आरोप लगाते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिया.

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