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खुद का सपना पूरा करने के लिए पिता ने बेटे को बना दिया क्रिकेट का 'दीपक' - दीपक चाहर की फैमिली बैकग्राउंड

टीम इंडिया के तेज गेदबाज दीपक चाहर ने बांग्लादेश के खिलाफ हैट्रिक विकेट लेकर इंटरनेशल क्रिकेट के फलक पर कई रिकॉर्ड बना दिये. दीपक चाहर को इस मुकाम पर पहुंचाने में उनके पिता लोकेंद्र चाहर की अहम भूमिका रही है. इसको लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने लोकेन्द्र चाहर से खास बातचीत की.

बेटे को बना दिया क्रिकेट का 'दीपक'.

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Published : Nov 13, 2019, 2:31 PM IST

Updated : Nov 13, 2019, 11:24 PM IST

आगरा: इंटरनेशनल क्रिकेट (international cricket) के फलक पर ताजनगरी के दीपक चाहर (deepak chahar) ने नई इबादत लिख दी. दीपक चाहर ने बांग्लादेश के खिलाफ टी-20 सीरीज के अंतिम मैच में 7 रन देकर 6 विकेट झटके, जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. दीपक की स्विंग होती गेंदबाजी के सभी कायल हैं, फिर चाहे पूर्व कप्तान एमएस धोनी हों या फिर लिटिल मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

लोकेंद्र चाहर आगरा के रहने वाले हैं. बिचपुरी के पास उनकी क्रिकेट एकेडमी है. लोकेंद्र चाहर एयरफोर्स से रिटायर है. उनके एक बेटी और एक बेटा है. उनकी बड़ी बेटी मालती चाहर मॉडल है. बेटा दीपक चाहर, जो इंटरनेशनल क्रिकेटर है. दीपक के रोल मॉडल बॉलर डेल स्टेन हैं. मैलकम मार्शल की बॉलिंग भी दीपक को बहुत प्रभावित करती है.

गेंदबाजी करने की रिदम में दिखा इंटरनेशनल क्रिकेट
लोकेंद्र चाहर का कहना है कि जब दीपक 12 साल का था तो एक दिन मैंने उसे क्रिकेट खेलते देखा. वह बड़े ही रिदम से गेंदबाजी कर रहा था. लय भी सही थी. इस पर मुझे लगा कि जो बच्चा इतनी छोटी उम्र में बड़े रिदम से गेंदबाजी कर रहा है. वह आगे चलकर बड़ा क्रिकेटर बन सकता है. बस उस पर मेहनत करने की जरूरत है, जो मैंने की.

दीपक चाहर की फैमिली.

धोनी ने परखी उसकी काबिलियत

लोकेंद्र चाहर ने बताया कि बेटे दीपक की काबिलियत उसकी मेहनत और ट्रेनिंग से बनी है. इस काबिलियत को मंच देने का काम इंडियन टीम के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी ने दिया. आईपीएल में जब उन्होंने दीपक को देखा और उसकी बॉलिंग को देखकर उस पर विश्वास जताया. यही वजह है कि आज दीपक अच्छा इन स्विंगर, आउट स्विंगर के साथ भी अन्य तमाम वैरायटी की बॉलिंग कर सकता है.

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मैच की सिचुएशन देखकर करता है बॉलिंग
लोकेंद्र चाहर का कहना है कि दीपक जब 12 साल का था तो ज्यादा तेज बॉल डाल नहीं सकता था. इसलिए हमने इस पर जोर नहीं दिया. हमने बॉल को स्विंग कराने पर जोर दिया. जब वह आउट स्विंग और इन स्विंग करने लगा. यह कई साल तक चला. जब दीपक दोनों तरफ की स्विंग कराने लगा. तब फिर उसकी स्पीड पर ध्यान दिया और उसके स्पीड आज 140, 141 और 143 किलोमीटर/घंटा तक पहुंच जाती है. तीसरी बात यह आई कि कब? कैसे? और कौन सी ? बॉल किस बल्लेबाज को डालनी है? इस पर काम किया. यही वजह है कि दीपक अब बल्लेबाजों को रीड भी अच्छी तरह से कर लेता है और उनके हिसाब से बॉलिंग करता है. मैच की सिचुएशन भी समझता है और फिर अपनी बॉलिंग भी उसी तरह से करता है. उसकी बॉलिंग में वैरायटी भी है. इतना सब कुछ होने के बाद उसे सफलता तो मिलनी ही थी, लेकिन देर से मिली. खैर देर आए दुरुस्त आए.

ऐसे ही प्रदर्शन करेगा तो जरूर टी-20 वर्ल्ड कप खेलेगा
लोकेंद्र चाहर का कहना है कि सबसे अहम है कंसिस्टेंसी है. दीपक को अपने खेल में इसी तरह से प्रदर्शन करना होगा. वह इसी तरह से प्रदर्शन करेगा तो जाहिर सी बात है कि अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप में भी जरूर खेलेगा.

दीपक चाहर अपने पिता और भाई के साथ.

रोल मॉडल डेल स्टेन

लोकेंद्र चौहान ने बताया आज दीपक का रोल मॉडल बॉलर डेल स्टेन है. मैलकम मार्शल की बॉलिंग भी उसे बहुत प्रभावित करती है. डेल स्टेन की तरह ही दीपक आउट स्विंग करता है. डेल स्टेन की स्पीड 140 प्लस है. वैसे ही दीपक की स्पीड भी 140 प्लस ही है.

बांग्लादेश के खिलाफ किया शानदार प्रदर्शन

लोकेंद्र चाहर ने बताया कि 10 नवंबर को बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए मैच को लेकर दीपक से बात हुई थी. हम दोनों के बीच यही बात हो रही थी, किस तरह से बेहतर प्रदर्शन किया जाए? इस सीरीज में एक-एक से दोनों टीम बराबर पर थी. ऐसे में भारत बांग्लादेश से हारना नहीं चाहता था. इस पर हमारी चर्चा हुई थी. दीपक से यही कहा था कि बेस्ट प्रदर्शन करना है.उसने सब तरीके से मैच में अच्छा प्रदर्शन करना है और उसने यह किया भी.

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बॉलिंग में वैरायटी और एक्यूरेसी दीपक की ताकत
लोकेंद्र चाहर ने बताया कि दीपक की बॉलिंग में काफी वैरायटी है. आउट स्विंग, इन स्विंग के अलावा और भी कई चीजें हैं जो दीपक की बॉलिंग में साफ दिखाई देते हैं. यही वजह है कि दीपक की ताकत उसकी बॉलिंग की वैरायटी और एक्यूरेसी है. इसके चलते हर बेस्टमैन अच्छी तरह से सामना नहीं कर सकता है.

पांच विकेट वाली बॉल का कलेक्शन
लोकेंद्र चाहर ने बताया कि दीपक ने जिस भी बड़े टूर्नामेंट में 5 या उससे ज्यादा विकेट लिए हैं. उनकी बॉल को हमने संभाल कर रखा है. यही वजह है कि हमारे पास दर्जनों ऐसी बॉल जमा हो गई हैं.

राहुल चाहर और दीपक (फाइल फोटो).

चाहर बंधु इंडिया टीम में, दोनों में एक जैसा टैलेंट

लोकेंद्र चाहर ने बताया कि भगवान का बहुत-बहुत धन्यवाद है. एक नहीं, दो बेटे मेरे इंडियन टीम में खेलते हैं. इससे ज्यादा गर्व की बात एक पिता के लिए कोई हो नहीं सकती है. कोच होने के नाते यह उपलब्धि 100 गुना ज्यादा खुशी देती है. दीपक चाहर जैसे राहुल भी है. दोनों में एक जैसा टैलेंट है. एक जैसे एग्रेसिव और मेहनती हैं. अभी उसे मौका मिलना है. जब उसे मौका मिलेगा तो वह अपनी क्षमता का पूरा प्रदर्शन करेगा और सबको साबित करेगा. लोकेंद्र चाहर का कहना है कि बचपन में मुझे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था. लेकिन मेरे पिताजी मुझे रेसलर बनाना चाहते थे. मैंने कुछ दिन रेसलिंग की. इसलिए मैं क्रिकेटर नहीं बन पाया. वायु सेना में भर्ती हो गया, लेकिन जब मैंने 12 साल की उम्र में दीपक को खेलते हुए देखा तो मुझे लगा कि ये मेरे सपने को पूरा कर सकता है.

Last Updated : Nov 13, 2019, 11:24 PM IST

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