आगरा: सीएम योगी ने बीते दिनों आगरा में निर्माणाधीन 'मुगल म्यूजियम' का नाम बदलकर 'शिवाजी म्यूजियम' कर दिया है. इससे प्रदेश में नई राजनैतिक उथल-पुथल शुरू हो गई है. 'शिवाजी म्यूजियम' नाम रखने के पीछे बीजेपी ने आगरा से जुड़े शिवाजी महाराज के इतिहास का तर्क दिया है, लेकिन आगरा किला के सामने लगी शिवाजी महाराज की प्रतिमा के शिलापट्ट में गलत इतिहास लिखा गया है. इतिहासकार की शिकायत के बाद भी इसे बदला गया है.
आगरा किला के सामने शिलापट्ट में गलत जानकारी, लिखा 'सन् 1966 में आए थे शिवाजी' - shivaji museum in agra
ताजनगरी आगरा में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम रखा गया है, लेकिन आगरा किला के सामने लगी शिवाजी महाराज की प्रतिमा के शिलापट्ट में गलत इतिहास लिख दिया गया है. इतिहासकारों का कहना है कि शिकायत के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया.
![आगरा किला के सामने शिलापट्ट में गलत जानकारी, लिखा 'सन् 1966 में आए थे शिवाजी' शिवाजी के बारे में शिलापट्ट पर लिखी गलत जानकारी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-8831422-350-8831422-1600323097914.jpg)
शिवाजी महाराज के आगरा आने और कैद होने का इतिहास सन् 1666 का है. जबकि, शिलापट्ट पर लिखा है कि शिवाजी महाराज सन् 1966 में आए थे. इसमें तीन सदी का अंतर है. जिसके बाद शिलापट्ट पढ़कर यहां आने वाले लोग और पर्यटक भ्रमित हो रहे हैं.
शिकायत के बाद भी नहीं हुआ बदलाव
इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा का एक शिलापट्ट गलत जानकारी दे रहा है. शिवाजी महाराज 11 मई 1666 को दक्षिण से चलकर आगरा आए थे. जहां औरंगजेब ने उन्हें कैद कर लिया था. अपनी चतुराई से शिवाजी महाराज यहां से अगस्त 1666 में औरंगजेब की कैद से निकलकर सकुशल अपनी राजधानी पहुंच गए थे. मगर आगरा किला के सामने प्रतिमा पर लगे शिलापट्ट हिंदी में यह जानकारी गलत दी गई है.
शिलापट्ट पर लिखा है कि, शिवाजी महाराज 12 मई 1966 को आगरा आए और अगस्त 1966 में औरंगजेब की कैद से सकुशल चतुराई से निकल कर चले गए. इतिहासकार का कहना है कि इस बात की जानकारी सीएम के साथ ही डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति से भी की थी, लेकिन अभी तक शिलापट्ट का इतिहास सही नहीं कराया गया. इस शिलापट्ट को पढ़कर लोग भ्रमित हो रहे हैं.