आगरा: बहुचर्चित पारस हॉस्पिटल की 'मौत की मॉक ड्रिल' की जांच के लिए गठित कमेटियां सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई हैं. सीएमओ की कमेटी की जांच कछुए की चाल से चल रही है. वहीं डीएम की जांच समिति ने सोमवार को सिर्फ पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं. जिसमें से अधिकतर पीड़ितों को कमेटी ने बयान के लिए नोटिस नहीं दिया, जिससे आधे से ज्यादा पीड़ित बयान देने ही नहीं आए.
बता दें कि, डीएम प्रभु नारायण सिंह ने एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है. अब तक एडीएम सिटी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने 11 शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें हर पीड़ित परिवार का आरोप है कि, 'मौत की मॉक ड्रिल' में उनके 'अपनों' की हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने हत्या की थी. इन शिकायतों से जिला प्रशासन के 26 और 27 अप्रैल को बताए गए मौत के आंकड़ों की पोल खुल रही है.
एडीएम सिटी ने दर्ज किया बयान
एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी के कार्यालय में पारस हॉस्पिटल के मामले में सोमवार शाम तक शिकायत और प्रत्यावेदन वाले पहले पीड़ित परिवार के बयान दर्ज किए. सभी ने 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन कमी से मरीजों की मौत का आरोप लगाया है. जो पीड़ित परिवार एडीएम सिटी के सामने बयान दर्ज कराने आए. उन्होंने मौत वाली मॉक ड्रिल से संबंधित अपने साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं. जिनकी जांच कमेटी करेगी. मगर, इसके अलावा 8 ऐसे पीड़ित परिवार बचे हैं. जिनके पास बयान दर्ज कराने का अभी तक जिला प्रशासन का नोटिस नहीं पहुंचा है. इसको लेकर भी जिला प्रशासन की कमेटी की जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.