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पत्नी के शव के लिए दिए 12 लाख रुपये, पति ने पत्र लिखकर की सीएम से शिकायत - आगरा की ख़बर

आगरा के एक निजी अस्पताल के खिलाफ पीड़ित ने मुख्यमंत्री और प्रशासन को एक शिकायत पत्र दिया है. जिसमें उसने कीमत से अधिक बिल वसूलने का आरोप लगाया है.

हॉस्पिटल पर कीमत से ज्यादा रुपये वसूलने का आरोप
हॉस्पिटल पर कीमत से ज्यादा रुपये वसूलने का आरोप

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Published : May 27, 2021, 12:50 PM IST

आगराः जिले के एक निजी अस्पताल की पीड़ित ने शिकायत की है. उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिला प्रशासन को एक शिकायत पत्र लिखा है. जिसमें उसने सिनर्जी हॉस्पिटल पर कीमत से ज्यादा बिल वसूलने का आरोप लगाया है. पीड़ित ने ये भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उसकी पत्नी के शव के लिए 12 लाख के चेक की मांग की थी. करीब 8 घंटे बाद पुलिस के हस्तक्षेप करने पर शव अस्पताल प्रशासन ने दिया. पीड़ित अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मागं कर रहा है.

हॉस्पिटल के लिए आपदा में अवसर

ऑक्सीजन लेवल कम होने पर किया था भर्ती

थाना सिकंदरा इलाके के तहत सिनर्जी हॉस्पिटल में पीड़ित राकेश सिंघल ने पत्नी अमृता सिंघल का ऑक्सीजन लेवल कम होने पर 28 अप्रैल को भर्ती कराया था. जिसके बाद से उनकी पत्नी का इलाज अस्पताल में चल रहा था. राकेश सिंघल ने बताया कि उन्होंने जब अपनी पत्नी को हॉस्पिटल में भर्ती कराया था तो उस समय अस्पताल प्रशासन को यह जानकारी दे दी गई थी कि उनके पास बीस लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस भी है. जिसके अनुसार उन्होंने अस्पताल को इंश्योरेंस का क्लेम लेने के लिए सारी प्रक्रिया शुरू करने की बात भी कह दी थी.

इंश्योरेंस कंपनी को फॉरवर्ड नहीं किया बिल

राकेश सिंघल ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन को पहले से ही बताने के बावजूद वह उनकी पत्नी के इलाज के खर्चे का बिल लगातार नहीं बना रहे थे. जिसके लिए पीड़ित ने बार-बार अस्पताल प्रशासन को चेताया था और कहा था कि अगर बिल नहीं बनेंगे तो इंश्योरेंस कंपनी उन्हें क्लेम नहीं देगी. लेकिन फिर भी अस्पताल प्रशासन अपनी तरफ से पीड़ित की पत्नी के इलाज में लगने वाले खर्चे का बिल इंश्योरेंस कंपनी को फॉरवर्ड नहीं कर रहा था.

इंजेक्शन और दवाई का खर्चा मरीज ने किया वहन

पीड़ित राकेश सिंघल ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने उनसे शुरुआत में ही दो लाख एडवांस ले लिया था. बल्कि जब भी उनकी पत्नी को किसी भी इंजेक्शन और दवाई की जरूरत होती थी तो वह पीड़ित को ही बाहर से अपने खर्चे पर लानी पड़ती थी. जिसके लिए करीब डेढ़ लाख पीड़ित को बाहर खर्च करने पड़े.

करीब 8 घंटे बाद दिया पत्नी का शव

पीड़ित ने बताया कि 25 मई की सुबह उनकी पत्नी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. जिसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पत्नी का शव उन्हें सुपुर्द करने के लिए कहा, लेकिन अस्पताल प्रशासन टालमटोल करने लगा. इसके साथ ही जब उन्होंने अस्पताल प्रशासन से इंश्योरेंस क्लेम के बारे में पूछा तो करीब 4 घंटे बाद पीड़ित के हाथों में पंद्रह लाख का बिल थमा दिया और बारह लाख रुपए की मांग करने लगा. किसी तरह से पीड़ित ने जिला प्रशासन और एसपी सिटी को इस समस्या के बारे में अवगत कराया. जिसके बाद 12 लाख रुपये का चेक लेने के बाद पीड़ित को पत्नी का शव करीब 8 घंटे बाद मिल सका.

मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए लिखा पत्र

पीड़ित ने कहना है कि उसके पास बीस लाख रुपए का इंश्योरेंस और कैशलेस सुविधा होने के बावजूद बारह लाख का चेक पत्नी के शव को लेने से पहले देना पड़ा. उनका कहना है कि सरकार द्वारा किसी भी कोरोना मरीज के लिए पांच लाख अधिकतम खर्चा तय किया गया है. लेकिन इस तरह के निजी अस्पताल लोगों से लूट करने में लगे हुए हैं. इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इस अस्पताल पर कार्रवाई करने और उनके पैसे वापस कराने की मांग की है.

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