आगरा:तमिलनाडु के कन्नुर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे से पूरा देश गमगीन है. जहां सेना ने अपना सबसे बड़ा अफसर सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) को खोया है तो वहीं आगरा ने अपना जाबांज सपूत विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान (Wing Commander Prithvi Singh Chauhan) को भी खोया है. शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के घर पर परिजन, रिश्तेदार, परिचित और अन्य लोगों की भीड़ लगी हुई है. विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान एक अच्छे टीम लीडर, जिंदादिल और खुशमिजाज व्यक्ति थे. पिता, मां और बहनों की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे. वैसे तो अगस्त में सभी बहनों संग विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान ने रक्षाबंधन बनाया था. मगर, न्यू ईयर सेलीब्रेशन और पिता के बर्थ डे के सरप्राइज सेलीब्रेशन की प्लानिंग याद करके सभी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में परिजनों ने बताया कि, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान जब भी आते थे. तो सभी को मोटिवेट करते थे. जीवन में गोल निर्धारित करने और उसके मुताबिक ही मेहनत करने की सीख देते थे.
चचेरे भाई जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि, भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का सैनिक स्कूल में पढ़ाई का सपना था. जब सैनिक स्कूल में दाखिला मिला तो उनका एक सपना पूरा हुआ. इसके बाद दूसरा सपना एनडीए में चयन होने से पूरा हुआ. घर पर जब भी आते तो सभी यह समझ नहीं सकते थे कि, भाई पृथ्वी सिंह चौहान विंग कमांडर हैं. सभी से हंसी मजाक करना. सभी को मोटीवेट करना. वे एक जॉली नेचर वाले इंसान थे. अगस्त माह में 31 साल बाद बहनों के साथ रक्षाबंधन मनाया था. क्योंकि, सैनिक स्कूल में प्रवेश होने और एनडीए में चयन होने के बाद से घर पर कभी रक्षा बंधन मनाने का मौका नहीं मिला.
31 दिसंबर को आना था पिता की बर्थडे की सरप्राइज पार्टी में
ममेरे भाई पुष्पेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि, भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को 31 दिसंबर को आना था. इसकी पूरी प्लानिंग हो गई थी. क्योंकि, 31 दिसंबर को फूफा सुरेंद्र सिंह चौहान का जन्म दिन है. इसलिए हर साल ही हम लोग सरप्राइज पार्टी करते हैं. इस बार भी यह तय हुआ था कि, फूफा सुरेंद्र सिंह के जन्मदिन पर 31 दिसंबर को सरप्राइज पार्टी करेंगे. जिसमें सभी बहनें और वे परिवार के साथ शामिल होंगे. मगर, उससे पहले ही हादसे में उनके शहीद होने की खबर ने सभी को चौंका दिया है.
'सभी को मोटीवेट करते थे, कहते थे लक्ष्य निर्धारित करो'
चचेरे भाई लोकेश चौहान ने बताया कि, भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान बहुत ही जिंदादिल इंसान थे. वे जब भी घर आते थे तो परिवार और रिश्तेदार ही नहीं, पड़ोस में रहने वाले युवाओं को मोटिवेट करते थे. कहते थे कि, जीवन का पहले लक्ष्य निर्धारित करो. अपने लक्ष्य के मुताबिक ही तैयारी करो. सरकारी नौकरी में जाओ. एयरफोर्स में जाओ. सेना में जाओ. सरकारी नौकरी में जाने की तैयारी करो.
न्यू आगरा के सरन नगर निवासी बेकरी कारोबारी सुरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि, बेटा विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की युद्ध कौशल की वायुसेना भी कायल थी. उसने सूडान में विशेष ट्रेनिंग ली थी. पृथ्वी की गिनती वायुसेना के जाबांज पायलट्स में होती थी. एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद पृथ्वी की पहली पोस्टिंग हैदराबाद हुई थी. इसके बाद बेटा पृथ्वी सिंह की पोस्टिंग गोरखपुर, गुवाहाटी, ऊधमसिंह नगर, जामनगर, अंडमान निकोबार सहित अन्य एयरफोर्स स्टेशन पर रही.
चार बहनों में सबसे छोटे थे विंग कमांडर
न्यू आगरा की सरन नगर निवासी बेकरी कारोबारी सुरेंद्र सिंह की चार बेटियां शकुंतला, मीना, गीता, नीता और सबसे छोटा एक इकलौता बेटा पृथ्वी सिंह चौहान थे. पृथ्वी सिंह चौहान ने रीवा के आर्मी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की थी. तभी उनका चयन एनडीए में हो गया. साल 2000 में पृथ्वी सिंह चौहान ने भारतीय वायुसेना ज्वाइन की थी. वर्तमान में विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान अभी हाल में कोयम्बटूर के पास एयरफोर्स स्टेशन पर तैनाते थे. विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का विवाह सन 2007 में वृंदावन निवासी कामिनी सिंह से हुआ था. उनकी 12 वर्षीय बेटी आराध्या और 9 वर्षीय बेटा अविराज है. बेटे के शहीद होने की खबर मिलने से मां सुशीला चौहान, पत्नी, बहन, बच्चे और पिता के साथ परिजनों का रो रोकर हाल बेहाल है.
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