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आगरा में जामा मस्जिद विवाद की सुनवाई टली, वादी पक्ष की एएसआई सर्वे की मांग - आगरा की खबरें

आगरा में जामा मस्जिद विवाद (Agra Jama Masjid Dispute) की सुनवाई आज टल गई. वादी पक्ष की ओर से एएसआई सर्वे की मांग की गई है. वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने कहा है कि मामला कोर्ट के क्षेत्राधिकार का ही नहीं है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2023, 8:18 AM IST

Updated : Nov 6, 2023, 6:18 PM IST

आगराःलघु वाद न्यायधीश के तबादला के चलते सोमवार को बहुचर्चित आगरा जामा मस्जिद मामले की सुनवाई टल गई. अब अदालत से 18 नवंबर की तारीख दी है. आगरा की अदालत में जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है.

इसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने जिला जज की अदालत में वाद दायर करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, प्रतिवादी एक पक्ष ने प्रार्थना पत्र दाखिल करके अपील की है कि जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई का कोर्ट का क्षेत्राधिकार ही नहीं है. इस मामले में जिला जज ने 26 अक्टूबर को मामले की सुनवाई की तारीख 6 नवंबर दी थी. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि लघु वाद न्यायाधीश का तबादला हो गया. इसकी वजह से आज सुनवाई नहीं हो सकी.

बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने आगरा जिला जज अदालत में एएसआई के तकनीकी विशेषज्ञ से जामा मस्जिद के सर्वे की मांग की. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के देवकीनंदन ठाकुरजी का दावा है कि मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके साथ ही जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाले. इसको लेकर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन किया जिससे सनातनी एकजुट करने के लिए बड़े आंदोलन से जुड़ने की सनातनियों से अपील की. उन्होनें कहा कि मैं जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से ले जाऊंगा तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा.

एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने

श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने कोर्ट से मांग की है कि, सच को सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर विवाद खत्म किया जा सकता है क्योंकि, सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी. प्रतिवादी पक्ष ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपील की है कि जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई करना कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है. आज इस पर ही सुनवाई होगी.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद

वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफा की रकम पांच लाख रुपये से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था विग्रह और पुरावशेष

वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वह केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

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Last Updated : Nov 6, 2023, 6:18 PM IST

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