आगराःआगरा सिविल जज (प्रवर खंड) में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह और मूतियों के विवाद में बुधवार को सुनवाई नहीं हुई. इस बारे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने याचिका दायर की थी, जिसमें चार में से दो ही पक्षकार को नोटिस तामील हुए हैं. अब इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 11 जुलाई है.
यह है विवाद
बता दें कि मथुरा कोर्ट में पहले से ही आगरा की जामा मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है, जिसकी सुनवाई चल रही है. इधर 11 मई को श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड), आगरा में वाद संख्या 518 / 23 दायर किया था. जिसमें न्यायालय से जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी भगवान केशवदेव के विग्रहों को वापस दिलवाने की प्रार्थना की गई है. इसकी पहली सुनवाई 31 मई को होनी थी.
इन्हें दिया गया था नोटिस
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की ओर से कोर्ट में दायर वाद को लेकर जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, छोटी मस्जिद, दीवान-ए-खास, जहांआरा मस्जिद आगरा किला, यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और श्रीकृष्ण सेवा संस्थान को नोटिस भेजा था. इसके तहत चारों को अपना पक्ष 31 मई को कोर्ट में रखना था. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता मनोज पांडेय ने बताया कि जज ने आज फिर दो पक्षकार को नोटिस इश्यू किए हैं. इसके साथ ही जज साहब ने अमीन सर्वे के लिए 11 जुलाई की तिथि दी है.
दुनिया की सबसे अमीर शहजादी जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. जहांआरा उस समय दुनिया की सबसे अमीर शहजादी थी. उसे तब करीब 2 करोड रुपये का सालाना वजीफा (जेब खर्च) मिलता था. मुगल बादशाह शाहजहां की रजामंदी पर जहांआगरा ने अपने वजीफा (जेब खर्च) की पांच लाख रुपये से आगरा में जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.
सन् 1643 से 1648 के बीच लाल बलुआ पत्थर से जामा मस्जिद का निर्माण हुआ था. जामा मस्जिद में तीन गुंबद हैं. जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. इसकी दीवार में ज्यामितीय आकृति की टाइल्स लगीहैं. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोगों के नमाज पढ़ने की व्यवस्था है. हर साल 20वें रमजान को जहांआरा का उर्स जामा मस्जिद में मनाया जाता है. यह भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित स्मारक में शामिल है.