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आगरा के दस गांवों में स्क्रीनिंग और सैनिटाइज पर जोर, टीमें गठित - आगरा के गांवों में कोरोना

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में लगातार प्रवासी मजदूरों का आना जारी है. इस दौरान दस गांवों में कई कोरोना संक्रमित मिले हैं, जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग सैनिटाइजेशन और स्क्रीनिंग के लिए अलग-अलग टीमें गठित कर रहा है.

sanitation of villages
गांव में किया जाएगा सैनिटाइजेशन

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Published : May 25, 2020, 12:04 PM IST

आगरा:जिले के दस गांव में कई लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. प्रवासी मजदूरों से दस गांव में कोरोना संक्रमण की एंट्री से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. गांव से नए संक्रमित मिलने से स्वास्थ्य विभाग सैनिटाइजेशन और स्क्रीनिंग के लिए अलग-अलग टीमें गठित कर रहा है. ये टीमें संक्रमित मिलने वाले गांव में जाकर सैनिटाइजेशन और संक्रमित के करीबियों की जांच करेंगी.

जानकारी देते सीएमओ डॉ. आर सी पांडेय.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब संक्रमित के संपर्क में आने वाले परिजन और परिचित को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की टेबलेट भी दी जाएंगी. बता दें कि जिले में दिल्ली, नोएडा, अहमदाबाद, सूरत, भोपाल, इंदौर, पुणे और शहरों से आए दिन प्रवासी मजदूर पहुंच रहे हैं, जिसके बाद गांव में कई नए संक्रमित मिले हैं. अकेले शमशाबाद ब्लॉक के चार गांव में संक्रमित मिले हैं. ऐसे ही देवरी रोड, फतेहपुर सीकरी, अछनेरा और बरौली अहीर के गांव में भी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं.

स्वास्थ्य विभाग ने गांवों को चिन्हित कर मंगाई मशीनें
स्वास्थ्य विभाग ने नए संक्रमित मरीज मिलने वाले दस गांव चिन्हित किए हैं, जिनमें सैनिटाइजेशन किया जाएगा. इसके लिए नई स्प्रे मशीन भी मंगाई गई हैं. नगर पंचायत और नगर पालिका के समन्वय से यहां पर कोरोना संक्रमण रोकने की योजना बनाई गई है.

सीएमओ डॉ. आरसी पांडेय ने बताया कि जिले में आ रहे प्रवासी मजदूरों के पॉजिटिव आने से दो टीम का गठन किया जा रहा है. एक टीम गांव को सैनिटाइज करने का काम करेगी तो दूसरी टीम डोर टू डोर स्क्रीनिंग करेगी. संक्रमित मिले व्यक्ति के संपर्क में आए परिजनों और परिचितों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और उन्हें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दी जाएगी. यह दवा 15 साल से छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जाती है. इसके साथ ही आशा और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से गर्भवती महिलाओं की जांच कराई जाएगी और जरूरत पड़ने पर उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जाएगा.

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष व्यवस्था की है. इसके तहत गांव लौट रहे प्रवासी मजदूरों को 21 दिन तक गांव के स्कूल में ही क्वारंटाइन रखा जाएगा.

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