आगराः आज हम आपको एक ऐसे संस्थान की ओर ले चलेंगे जो हजारों दिव्यांगों की जिंदगियों को संवार चुका है. ताज नगरी आगरा में हरदयाल विकलांग केंद्र ऐसी जगह है, जहां लोग लंगड़ाते हुये आते हैं और चलते हुए जाते हैं. इस केंद्र ने अभी तक 44759 दिव्यांग जनों की निःशुल्क मदद की है.
विश्व विकलांग दिवस विशेष: इस केंद्र ने 44759 दिव्यांगों का किया है मुफ्त इलाज. पहले दिल्ली में बनता था कृतिम पैर
विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि यह केंद्र 1996 से ही दिव्यांगों की जिंदगियों को संवार रहा है. इस केंद्र की स्थापना उनके पिता स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल ने की थी. सन 1996 में उनके पिताजी स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल यहां से दिव्यांगों को दिल्ली कृत्रिम पैर लगवाने के लिए लेकर के जाते थे. इसमें कृत्रिम पैर (लिंब), कैलीपर्स, वैशाखी और अन्य शामिल थे.
दिव्यांगों को बस से दिल्ली ले जाया जाता था और कृत्रिम पैर लगने के बाद फिर उन्हें आगरा लाया जाता था. दिल्ली आने-जाने में मरीजों को काफी मुश्किल होती थी. इसको लेकर स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल ने विष्णु कपूर से चर्चा की और फिर यह तय हुआ कि वे आगरा में भी एक वर्कशॉप शुरू करेंगे. हरदयाल विकलांग केंद्र के नाम से एक सेंटर बनाया गया और यहीं पर वर्कशॉप शुरू हुआ. अब यहीं पर दिव्यांग जनों के लिए कैलिपर्स और अन्य उपकरण बनाए जाते हैं.
चार तरह आते हैं विकलांग
विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि उनके पास दो डॉक्टर हैं, जो पहले शिविर में आने वाले हर मरीज को देखते हैं. चेकअप करते हैं और यह तय करते हैं कि वे इस मरीज की मदद कर पाएंगे या नहीं. डॉक्टर यह तय करते हैं कि हम किस मरीज के लिए लिंब बनाएंगे, किसके लिए कैलिपर्स बनाएंगे और किसके एएफओ बनाएंगे. किसको ट्राईसाइकिल देंगे. इस तरह से चार भागों में काम को बांट लेते हैं.
72 घंटे में तैयार होता है उपकरण
एक्सपर्ट नाप लेकर लिंब और कैलिपर्स बनाते हैं. 72 घंटे में फिर दिव्यांग को देते हैं. ट्रायल करके फिर यह देखते हैं और फिर मरीज को भेजते हैं. सुनील अग्रवाल ने बताया कि यहां पर विकलांगों से संबंधित हर प्रकार की व्यवस्था मौजूद है और उपकरणों का रिपेयर भी किया जाता है.
केंद्र ने किया है 44759 दिव्यांगों की निःशुल्क मदद
केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि हर गुरुवार को लगने वाले कैंप में अलग-अलग जगहों से कुल मिलाकर 200 दिव्यांग आते हैं. इनमें से करीब 30 % दिव्यांग लिंब के होते हैं. 70% दिव्यांग कैलीपर्स के होते हैं. केंद्र के कम्प्यूटर में मौजूद डाटा के अनुसार अभी तक 23 सालों में इस केंद्र के द्वारा कुल 44759 दिव्यांग जनों की निःशुल्क मदद की जा चुकी है.