आगरा : ताज नगरी को मुगलों की राजधानी कहा जाता है. बताया जाता है कि यह जगह मुगलों की सबसे पसंदीदा जगह है लेकिन आगरा एक ऐसी जगह है जहां भगवान शिव के साथ-साथ सिखों के गुरु गुरुनानक देव, गुरु हरगोविंद साहिब, गुरु तेग बहादुर साहिब देखने को मिलते हैं. गुरु गोविंद सिंह ने आगरा की जमीन अपना इतिहास रचा था. 21 अप्रैल को पूरे देश में गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व मनाया जाता है.
21 अप्रैल 2022 को गुरु तेग बहादुरजी का 400वां प्रकाश पर्व आगरा में मनाया गया. गुरु तेग बहादुर का आगरा से काफी पुराना रिश्ता है. यहां पर एक ऐसी जगह है जहां पर गुरु तेग बहादुर जी को 9 दिनों तक नजरबंद करके रखा गया और यहीं से उनको दिल्ली ले जाकर शहीद किया गया था. आज इस जगह को ऐतिहासिक स्थल दुख निवारण गुरु का ताल गुरुद्वारा कहा जाता है. आज भी इस जगह की इमारत को वैसे ही रखा गया है जैसी वह 400 साल पहले थी. इसका श्रेय गुरुद्वारे के बाबा संत प्रीतम सिंह जी को जाता है.
गुरु के ताल पर स्थित गुरुद्वारे पर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी को 9 दिन तक नजरबंद रखा गया था. उस वक्त औरंगजेब ने यह फरमान जारी किया था कि हिंदुस्तान के कश्मीरी ब्राह्मण इस्लाम धर्म को अपना लें. उन्होंने कहा था कि जो इस्लाम धर्म जो नहीं अपनाएगा, उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा. लगातार देश में कश्मीरी ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहे थे. कश्मीरी ब्राह्मणों ने तेग बहादुर जी की शरण में गए. इसके बाद गुरु तेग बहादुर ने कहा कि कुर्बानी देने का वक्त आ गया है.
उन्होंने औरंगजेब तक यह संदेश भिजवाया कि हिंदुओं के पीर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर साहिब इस्लाम धर्म कबूल कर लेते हैं तो भारतवर्ष स्वयं ही मुसलमान हो जाएगा. इस बात पर औरंगजेब ने सभी कश्मीरी ब्राह्मणों को छोड़ दिया और गुरु तेग बहादुर की गिरफ्तारी का एलान किया. 1675 ईसवी में गुरु तेग बहादुर को कस्बा सिकंदरा के पूर्व में ककरेटा गांव के जुहू में बने बादशाही बाग में डेरा डालकर 9 दिन तक नजरबंद रखा गया था. आज इस स्थान को गुरु का ताल स्थित गुरुद्वारा कहा जाता है.