आगराःसिख धर्म के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी का आज प्रकाश पर्व है. इसको लेकर गुरुद्वारों में लंगर और कीर्तन का दौर जारी है. वहीं, आगरा के हाथीघाट पर एक ऐसा प्राचीन गुरुद्वारा मौजूद है, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने यमुना किनारे 45 दिन प्रवास किया था और मुगल बादशाह बहादुर शाह को नया जीवनदान दिया था.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बचाई थी बहादुर शाह की जान
ताजनगरी आगरा के यमुना किनारा मार्ग हाथी घाट पर स्थित गुरुद्वारे से सिख धर्म के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी का गहरा नाता है. यहां के सेवादार बच्चन सिंह ने बताया कि 2 अगस्त 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसका बड़ा बेटा बहादुर शाह अपने भाई तारा आजम को युद्ध में हराकर राजगद्दी पर बैठा था. उस युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह जी ने बहादुर शाह की सहायता की थी. एक बार बहादुर शाह हाथी पर सवार होकर यमुना किनारे से ताजमहल जा रहा था, तो एक मगरमछ ने उसके हाथी के पैर को दबोच लिया. इस मंजर को देखकर बहादुर शाह की सेना के भी हौसले पस्त हो गए, तब बहादुर शाह ने गुरु गोबिंद सिंह जी को याद किया.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने मगरमच्छ का संहार कर मुगल बादशाह बहादुर शाह की जान बचायी. मौत के मुँह से लौटकर आये बहादुर शाह ने गुरु गोबिंद सिंह जी को आगरा किले में बुलाकर उनका इस्तेकबाल किया. उन्हें अपने से ऊपर सिंघासन पर बैठाकर उन्हें हीरे-जवाहरत लगी पगड़ी और कलंगी भेंट की थी. इसके साथ गुरु गोबिंद सिंह जी को सोने की 1,100 मोहरे भेंट में दी.