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आगरा: बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में पिता को फांसी की सजा

आगरा में 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या करने के मामले में आरोपी पिता को फांसी की सजा सुनाई गई है. यह फैसला पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने सुनाया.

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Published : Sep 20, 2019, 1:24 PM IST

बच्ची की दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने वाले पिता को फांसी की सजा.

आगरा: सात साल की मासूम खुद की बेटी के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी गला दबाकर हत्या करने वाले पिता को फांसी की सजा सुनाई गई है. यह फैसला गुरुवार को पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने सुनाया. जब से पॉक्सो एक्ट बना है, तब से इस मामले में पहली बार आगरा में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है.

जिला शासकीय अधिवक्ता से बातचीत करते संवाददाता.

लोगों को मिलेगा तगड़ा सबक
मासूम बेटी की गला दबाकर हत्या करने वाले पिता को फांसी की सजा सुनाए जाने से एक बार फिर लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है. वहीं ऐसे घिनौने काम करने वाले लोगों में दहशत का माहौल भी बनेगा. इस बारे में ईटीवी भारत ने जिला शासकीय अधिवक्ता वसंत कुमार गुप्ता से विशेष बातचीत की, क्योंकि अधिवक्ता वसंत कुमार गुप्ता और उनकी टीम ने इस मामले में बेहतर पैरवी की थी. पुलिस के जुटाए और फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपी पिता फांसी के फंदे तक पहुंचा.

यह था मामला
बात 25 नवंबर 2017 की है, जहां एत्मादपुर थाने में मौनी नाम के व्यक्ति ने अपने सात साल की बेटी को गायब होने की शिकायत दी. इस पर पुलिस छानबीन में जुटी तो 7 वर्षीय बच्ची का शव स्कूल के पास से बरामद हुआ. चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था.

मौके पर मिले साक्ष्य और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर जब मामले की छानबीन आगे बढ़ी तो साफ हो गया कि मासूम की हत्या उसके पिता मौनी ने ही की थी. सिर्फ इतना ही नहीं, हत्यारोपी पिता ने बच्ची के साथ हैवानियत की सारी हदें पार करने के बाद मासूम की गला दबाकर हत्या कर दी थी.

16 गवाहों की हुई गवाही
जिला शासकीय अधिवक्ता वसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि आरोपी मौनी को सजा दिलाने के लिए पुलिस ने बहुत अच्छी तरह से अनुसंधान किया. तमाम साक्ष्यों के साथ ही फॉरेंसिक सबूत भी इस केस में अहम साबित हुए. इस पूरे मामले में 16 गवाहों के बयान हुए. इसी के आधार पर मोनी को फांसी की सजा सुनाई गई है.

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डीजीपी खुद कर रहे थे मॉनिटरिंग
जिला शासकीय अधिवक्ता वसंत कुमार गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि मामले की खुद डीजीपी मॉनिटरिंग करते थे. कई बार उन्होंने इस पर जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए. इसके साथ ही इस मामले में सही पैरवी करने के लिए कई सीओ को भी लगाया गया था.

फांसी की सजा
जिला शासकीय अधिवक्ता वसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि आरोपी मौनी को अलग-अलग सेक्शन में अलग-अलग सजा सुनाई गई है. उसे धारा 302 में मृत्युदंड और एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. अर्थदंड न अदा करने पर उसे 1 साल का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना पड़ेगा. न्यायधीश वीके जायसवाल ने अपने फैसले में लिखा है कि अभियुक्त मौनी को गर्दन में फांसी का फंदा लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक कि उसकी मौत न हो जाए.

इसके साथ ही मौनी को धारा 376 के अंतर्गत आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये का अर्थदंड और धारा 363 के अंतर्गत 7 साल की सजा और 25 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया गया है. अन्य धाराओं में सजा के आदेश दिए गए हैं.

7 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी पिता को फांसी की सजा सुनाए जाने से समाज में एक संदेश जाएगा कि भले ही न्याय देरी से मिले, लेकिन मिलता जरूर है. अपराधी कितना भी चतुर और चालाक हो, उसे उसके किए की सजा भी मिलती है, फिर चाहे अपराधी पिता हो या कोई और.
-वसंत कुमार गुप्ता, जिला शासकीय अधिवक्ता

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