आगरा:जनपद में तीन राज्यों से बहने वाली उटंगन नदी का जलस्तर गिरने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसान जहां नदी के पानी से खेतों की सिंचाई करते थे. वहीं जलस्तर नीचे गिर जाने से किसानों के सामने सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है. गिरता हुआ जलस्तर क्षेत्र में आने वाले दिनों में बड़ी समस्या बनता जा रहा है.
सूख रही नदी, घट रहा जलस्तर
उटंगन नदी तीन प्रदेशों में होकर बहती है. राजस्थान से शुरू होकर यह नदी उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश के कुछ हिस्से तक फैली है. इसे मुख्य रूप से यमुना और चंबल की सहायक नदी के नाम से जाना जाता है. करीब 15 साल से बारिश के समय को छोड़कर बाकी के दिनों में नदी पूरी तरह सूख जाती है. कुछ स्थानों पर नाले जैसी दिखाई देती हैं. लगातार जलस्तर गिर रहा है, जो कि आने वाले समय में परेशानी का सबक बनता जा रहा है.
दो दशक पहले बने थे बाढ़ जैसे हालात
साल 1994 में उटंगन नदी में पानी देख ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी, तभी बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ जैसे हालातों ने परेशानी में डाल दिया था. आज स्थिति बिल्कुल उल्टी है. नदी लगभग सूख गई है. बरसात के दिनों में थोड़ा बहुत पानी दिखाई देता है.
यहां बहती है उटंगन की धारा
उटंगन नदी राजस्थान की ओर से जगनेर, खेरागढ़, सैंया, राजाखेड़ा, शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट, सिरसागंज, जैतपुर, शिकोहाबाद, टूंडला इलाकों में बहती है. बारिश के बाद नदी किसी काम की नहीं रह जाती.
सूख गई कुइया
उटंगन पुल के पास बने भोलेनाथ मंदिर के पास पानी पीने के लिए 20 से 25 फुट की गहराई पर ग्रामीणों द्वारा पानी पीने के लिए कुइया बनाई गई थी, लेकिन अब नदी लगातार सूखती जा रही है, जिसके चलते कुइया सूखी दिखाई देती हैं.