आगरा:ताज नगरी आगरा में सर्द रातों में किसान इस समय हल्कू बने हुए हैं. महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'पूस की रात' में जिस प्रकार किसान हल्कू अपने खेतों की रखवाली करता है, ठीक उसी प्रकार आज जिले के किसान रखवाली कर रहे हैं. सर्द रातों में कभी अलाव का सहारा लेते हैं तो कभी आवारा जानवरों की तरफ दौड़ते भागते हैं. बावजूद इसके आवारा जानवर किसानों की फसल को खा जा रहे हैं. यही कारण है कि अब किसान अधूरी गौशाला को पूरी कराने की मांग कर रहे हैं.
आगरा-ग्वालियर रोड पर स्थित ग्राम पंचायत इटोरा, रोहता, ककुआ, बाद, पट्टी पचगाईं सहित दर्जनों गांव के किसान इन दिनों आवारा गोवंश व नीलगाय से फसलों को बचाने के लिए रात भर खेतों की निगरानी कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि लाखों रुपये तार फेंसिंग में खर्च कर दिए हैं. बावजूद इसके आवारा गोवंश तारों को तोड़ कर खेतों में प्रवेश कर जा रहे हैं. किसान मनमोहन गोयल ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों की रखवाली के लिए लाखों रुपये तार फेंसिंग पर खर्च किए हैं. आज अलाव जलाकर वे खेतों में फसलों की रखवाली करते हैं. जैसे ही आवारा गोवंश और नीलगाय खेतों में नुकसान करते देखते हैं तो किसान खेतों से आवारा जानवरों को बाहर निकालते हैं. किसान मनमोहन गोयल ने बताया कि महंगाई के दौर में फसलों को बचाना अब मुश्किल हो रहा है.
एक अन्य किसान छतर सिंह ने बताया कि गांव के प्रत्येक किसान को अपनी फसल की रखवाली के लिए अपने खेतों पर रहना पड़ता है. इस समय खेतों में आलू, सरसों और गेहूं की फसल खड़ी है. परिवार के प्रत्येक सदस्य की रखवाली के लिए ड्यूटी लगती है. रात्रि में बुजुर्ग रखवाली करते हैं तो दिन में बच्चे खेतों की रखवाली करते हैं. किसान जवाहरलाल रोहता ने बताया कि इस समय खेतों की लागत काफी है. ब्लैक में डीएपी यूरिया खाद खरीदना पड़ रहा है.