आगरा:दिल्ली-मुम्बई रेलवे रूट पर स्थित स्टेशन भांड़ई से कीठम स्टेशन तक 26 किमी. लंबी बायपास रेल लाइन बनाई जानी है. इस रेल लाइन के लिए 23 गांवों के दो हजार से ज्यादा किसानों की 150 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है. लेकिन, जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसान इस भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में आगरा जयपुर हाईवे पर मिढाकुर में नानपुर मोड पर धरने पर बैठे हैं.
किसानों की मांग है कि सभी किसानों को एक समान दर से मुआवजा दिया जाए. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिले. फ्री रेल यात्रा के साथ ही जो जमीन बची है, उसके लिए संपर्क मार्ग और सिंचाई की पहले जैसी ही व्यवस्था सुचारू रहे. ईटीवी भारत ने धरने पर बैठे किसानों की पीड़ा जानी तो उन्होंने बताया कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से भी गुहार लगा चुके हैं. लेकिन, अभी तक हमारी सुनवाई नहीं हुई है. इसलिए मजबूर भीषण गर्मी और लू में भी हम मुआवजा समेत अन्य मांग को लेकर धरना पर बैठे हैं.
बता दें कि राजा की मंडी स्टेशन पर चामुंडा देवी मंदिर प्रकरण और स्टेशन के आसपास घनी आबादी की वजह से तीसरी लाइन का काम अटका तो रेल मंत्रालय ने कीठम से भांडई तक 26 किमी. तक लंबी बायपास रेल लाइन के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके लिए रेल बजट में धनराशि भी जारी की जा चुकी है. लेकिन, अभी जमीन अधिग्रहण का काम अटका हुआ है. किसान नेताओं का कहना है कि अब तक रेल बायपास की जमीन अधिग्रहण के सदमे और धरना स्थल पर दो किसान की मौत हो चुकी है. लेकिन, किसानों का 62 दिन से धरना जारी है.
150.65 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण
रेल बायपास की तीसरी रेल लाइन के लिए कीठम से भांडई तक 26 किलोमीटर की दूरी में 150.65 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जानी है.
इस बारे में किसान रेल बायपास संघर्ष समिति के संयोजक चौधरी दिलीप सिंह का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के मुआवजे की राशि में भारी अंतर है. किसानों के ट्यूबवेल समेत कई मुद्दे हैं. जिन पर जिला और रेल प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. अपनी मांग को लेकर किसान 62 दिन से धरने पर बैठे हैं.
किसानों की हर मदद को तैयार हम
जन शक्ति संगठन के अध्यक्ष अधिवक्ता अजय चाहर ने किसानों को समर्थन दिया है. उन्होंने बताया कि किसानों की जब समस्या सुनी तो दुखद जानकारी मिली. एक किसान की सदमे में मौत और दूसरे किसान की धरना स्थल पर मौत हो चुकी है. 60 दिन से ज्यादा समय किसानों के धरने को हो गया है. कोई भी अधिकारी अभी तक किसानों से मिलने भी नहीं आया है. हम किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. काननूी प्रक्रिया में जन शक्ति संगठान किसानों की पूरी मदद करेगा.