आगरा:हर किसी के आराध्य प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं का मंचन इस बार रामलीला मैदान में नहीं होगा. उत्तर भारत की प्रसिद्ध रामलीला के साथ ही भगवान श्रीराम की भव्य बारात भी नहीं निकलेगी और न ही जनकपुरी महोत्सव होगा. 135 साल में यह दूसरी बार है जब ताजनगरी की इस प्रसिद्ध रामलीला का आयोजन नहीं होगा.
इसके पहले भारत-पाक युद्ध के समय रामलीला का मंचन नहीं हो सका था. वहीं इस साल कोविड-19 के चलते रामलीला कमेटी ने यह फैसला लिया है. दरअसल जिला प्रशासन ने कोविड-19 की वजह से सिर्फ 5 लोगों को इस परंपरा को विधि-विधान से कराने की अनुमति दी है. यही वजह है कि इस बार दशहरे पर विशालकाय रावण के पुतले का दहन नहीं होगा.
ताजनगरी की प्रसिद्ध रामलीला का मंचन आगरा किले के पास स्थित रामलीला मैदान पर दशकों से होता आ रहा है. अनंत चतुर्दशी पर रावतपाड़ा स्थिति लाला चन्नोमल की बारादरी में मुकुट पूजन और स्वरूपों के पूजन के साथ रामलीला की शुरुआत होती थी. जिसके बाद पितृ पक्ष और नवरात्र में प्रभु श्रीराम की लीलाओं का मंचन होता था. पितृ पक्ष की एकादशी को शहर में मनकामेश्वर महादेव मंदिर से प्रभु श्रीराम की भव्य बारात निकलती थी. जो पूरे धूमधाम के साथ शहर के परंपरागत मार्गों से होकर गुजरती थी. जिसके बाद भव्य जनकपुरी समारोह का आयोजन होता था.
सन 1891 से रामलीला का रिकॉर्ड
बताया जाता है कि, उत्तर भारत की इस सुप्रसिद्ध रामलीला का मंचन 1891 से पहले भी होता था. उस समय रामलीला का संचालन भगवानदास (भग्गोमल) डेरे वाले, लाला गिर्राजकिशोर डेरे वाले और मुंशी शिवनारायण करते थे. इसके बाद सन 1891 में रामलीला कमेटी का रूप बना और सन 1904 में रामलीला कमेटी का विधिवत गठन किया गया. तभी से जनता से चंदा करके रामलीला का मंचन होता आ रहा है.
मुकुट पूजन की अनुमति नहीं मिली
रामलीला कमेटी के मीडिया प्रभारी राहुल गौतम ने बताया कि कमेटी ने जिला प्रशासन से एक सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी पर मुकुट पूजन और स्वरूपों के पूजन की अनुमति मांगी थी. लेकिन जिला प्रशासन ने कोविड-19 की गाइडलाइन के चलते इस बारे में कमेटी को अनुमति नहीं दी है. इसलिए कमेटी ने कोविड-19 के चलते रामलीला न कराने का निर्णय लिया है.
जनहित में लिया फैसला
पुजारी पंडित अखिलेश शास्त्री ने कहा कि प्रदेश में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने यह निर्णय लिया है. बीते कई सालों से हम निरंतर भगवान की सेवा करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार प्रभु की यही इच्छा है.
स्थानीय लोगों के चेहरे पर मायूसी
स्थानीय लोगों का कहना है कि, हमें जानकारी मिली है कि इस बार रामलीला का आयोजन नहीं होगा. हम बचपन से ही रामलीला मैदान में प्रभु के दर्शन करने जाते थे. इस बार प्रभु के दर्शन नहीं कर सकेंगे तो बहुत बुरा लगेगा, लेकिन कोरोना काल में घर पर रहकर ही भगवान को याद करेंगे.
आतिशबाजी का होता था मुकाबला
रामलीला मैदान पर रावण के पुतले का दहन करने से पहले आतिशबाजी का मुकाबला होता था. इसमें आगरा सहित राजस्थान और कई जिलों के लोग भाग लेते थे.